Category हिंदी कविता

हरतालिका पर कविता

हरतालिका वर्षा में मन भावन,माह भाद्रपद पावन,उमा सा सुहाग संग,चाहे तिय बालिका। तृतीया शुक्ल पक्ष में,नक्षत्र हस्त कक्ष में,पूजे सबलाएँ सत्य,पार्वती प्रणपालिका। धारती कठोर प्रण,निर्जला चखे न तृण,पूर्ण दिन रात व्रती,तीज हरतालिका। नीलकण्ठ हैं अघोरी,उमा ही भवानी गौरी,धारती विविध रूप,दुष्ट…

बाबूराम सिंह की कुण्डलियां

बाबूराम सिंह की कुण्डलियां मानुष तनअनमोल अति,मधुरवचन नितबोल।रहो परस्पर प्यार से ,जन -मन मधुरस घोल।।जन-मन मधुरस घोल,जीवन सुज्योति जलेगा।होगा कर्म अकर्म , हृदय में पुण्य फलेगा।।कह बाबू कविराय ,कुचलो पाप अधर्म फन।पुनः मिले ना मिले,सोच लो यह मानुष तन।।* देना…

तीजा पोरा के दिन आगे

तीजा पोरा के दिन आगे तीजा पोरा के दिन आगे चलो मइके दुआरी माउहाँ दाई डहर देखे अपन चढ़के अटारी मा । गुड़ी मा बैठ के रद्दा निहारत हे बिहनिया लेलगे होही मया मारे सियनहा संग चारी मा । मया…

विनोद सिल्ला की कविता

भाईचारा पर कविता मैंने मना कर दिया मैंने भाईचारानिभाने सेमना कर दिया थी उनकी मनसामैं उनकोभाई बनाऊंवे मुझको चारा । -विनोद सिल्ला मेरा कुसूर मैं था कठघरे मेंदागे सवालउठाई उंगलीलगाए आक्षेपनिकाली गलतियाँनिकम्मों ने मेरा कुसूर था किमैंने काम किया ।…

परोपकार की देवी मदर टेरेसा पर कविता

मदर टेरेसा पर कविता : मदर टेरेसा (26 अगस्त 1910 – ५ सितम्बर 1997) जिन्हें रोमन कैथोलिक चर्च द्वारा कलकत्ता की संत टेरेसा के नाम से नवाज़ा गया है, का जन्म आन्येज़े गोंजा बोयाजियू के नाम से एक अल्बेनीयाई परिवार…

लालसा पर कविता

लालसा पर कविता लालसा न चाह का है ,जीवन में कुछ पाने कोलालसा न बड़ा बनू, न बहुत कुछ कर जाने कोछीन कर खुशियां किसी की, रोटियां दो वक्त कीमैं चलूं तारों को लाने,छोड़ इन्हें मर जाने को धिक्कार है…

गगन उपाध्याय नैना की रचनाएँ

गगन उपाध्याय नैना की रचनाएँ : यहाँ माँ पर हिंदी कविता लिखी गयी है .माँ वह है जो हमें जन्म देने के साथ ही हमारा लालन-पालन भी करती हैं। माँ के इस रिश्तें को दुनियां में सबसे ज्यादा सम्मान दिया…

आज के समय की पुकार पर कविता

आज के समय की पुकार पर कविता आओ हम सब एक बनें छोड़ बुराई नेक बनें।जन-जनअपनाकरे सुधार आज समय की यही पुकार।दहेज दानव का नाम मिटायें जलती बहु बेटी बचायेंगे।जागरूक हो जतन करें निज डोली नहीं लुटेरे कहार। सब कोई…

सागर पर हिंदी कविता – सुकमोती चौहान रुचि

सागर पर हिंदी कविता सागर गहरा ज्ञान सा, बड़ा वृहद आकार |कौन भला नापे इसे, डूबा ले संसार |डूबा ले संसार, नहीं सीमा है कोई |कहलाये रत्नेश, यही कंचन की लोई |कहती रुचि यह बात , यही मस्ती का आगर…

कृष्ण कन्हैया – डॉ एन के सेठी

कृष्ण कन्हैया आए हैं कृष्ण कन्हैयाहर्षित हैं बाबा मैयाधूम मची चहुँ ओरखुशियां मनाइए।। आए है तारणहारहोगा दुर्जन संहारस्वागत करें मिलकेघर में बुलाइए।। बादल बरस रहेकालिंदी भी खूब बहेआए हैं दुख मिटानेगुणगान गाइए।। हुई ब्रजभूमि धन्यउनसा न कोई अन्यसौम्य सुंदर रूप…