Category विविध छंदबद्ध काव्य

सांध्य है निश्चल -बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’

सांध्य है निश्चल रवि को छिपता देख, शाम ने ली अँगड़ाई।रक्ताम्बर को धार, गगन में सजधज आई।।नृत्य करे उन्मुक्त, तपन को देत विदाई।गा कर स्वागत गीत, करे रजनी अगुवाई।। सांध्य-जलद हो लाल, नृत्य की ताल मिलाए।उमड़-घुमड़ कर मेघ, छटा में…

सेवा का संरक्षण- दिलीप कुमार पाठक “सरस”

है झुकी डाल फल फूल फली,मुस्कानें लख-लख लहरातीं | था एक बीज जो वृक्ष बना, बरसातें उसको नहलातीं|| माटी पाकर आया बचपन,सेवा का संरक्षण पाया| लकड़ी पत्ती फल फूल कली, है सेवा की सिर पर छाया|| गुरु मातु पिता का संरक्षण, हम सबने…

निषादराज के दोहे

*निषादराज के दोहे (1) संसारकितना प्यारा देख लो,ये अपना संसार।स्वर्ग बराबर हैं लगे,गाँव-शहर वनद्वार।। (2) समयसमय बड़ा अनमोल है,कीमत समझो यार।समय बीत जब जायगा,फँसो नहीं मझधार।। (3) गतिअपनी गति में काम को,करना अच्छा यार।तभी सफलता हैं मिले,उन्नति  घर संसार।। (4)…

दोहा छंद विधान व प्रकार

दोहा छंद विधान व प्रकार – प्रदीप कुमार दाश “दीपक” “दोहा” अर्द्धसम मात्रिक छंद है । इसके चार चरण होते हैं। विषम चरण (प्रथम तथा तृतीय) में १३-१३ मात्राएँ और सम चरण (द्वितीय तथा चतुर्थ) में ११-११ मात्राएँ होती हैं।…

विघ्न हरो गणराज-सुधा शर्मा

विघ्न हरो गणराज हे गौरी नंदन हे गणपति,प्रथम पूज्य  महराज। कृपा करो हे नाथ हमारे,विघ्न हरें गण राज।। घना तिमिर है छाया जग में, भटक रहा इंसान।   भूल गया जीवन मूल्यों को ,बना हुआ शैतान।।  हे दुख भँजन आनंददाता,करिए  पूरी…

बासुदेव अग्रवाल नमन – गणेश वंदना

गणेश वंदना  मात पिता शिव पार्वती, कार्तिकेय गुरु भ्राता।पुत्र रत्न शुभ लाभ हैं, वैभव सकल प्रदाता।। रिद्धि सिद्धि के नाथ ये, गज-कर से मुख सोहे।काया बड़ी विशाल जो, भक्त जनों को मोहे।।  भाद्र शुक्ल की चौथ को, गणपति पूजे जाते।आशु बुद्धि…

jivan doha

जीवन के दोहों का संकलन

जीवन के दोहों का संकलन 1- है मलीन चादर चढ़ी, अंतः चेतन अंग। समझे तब कैसे भला, हूँ मैं कौन मलंग।। 2- प्रतिसंवेदक कॄष्ण हैं, लिया पार्थ संज्ञान। साध्य विषय समझे तभी, हुआ विजय अभियान।। 3- मैं अनुनादी उम्र भर,…

dr bhimrao ambedkar

भीमराव अम्बेडकर पर दोहे

भीमराव रामजी आम्बेडकर (14 अप्रैल, 1891 – 6 दिसंबर, 1956), डॉ॰ बाबासाहब आम्बेडकर नाम से लोकप्रिय, भारतीय बहुज्ञ, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, और समाजसुधारक थे।[1] उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था। श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन भी किया था। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एवं…

वीरांगना बिलासा बाई वीरगाथा पर दोहे

(वीरांगना बिलासा बाई निषाद की वीर गाथा,जिसके नाम से छ.ग. के सुप्रसिद्ध शहर-बिलासपुर का नाम पड़ा)(जनश्रुति के अनुसार) वीरांगना बिलासा बाई वीरगाथा पर दोहे बहुत समय की बात है,वही रतनपुर राज।जहाँ बसे नर नारि वो,करते सुन्दर काज।।1।।केंवट लगरा गाँव के,कुशल…

अब्र की उपासना

अब्र की उपासना मेरी यही उपासना, रिश्तों का हो बन्ध।प्रेम जगत व्यापक रहे, कर ऐसा अनुबन्ध।। स्वप्रवंचना मत करिये, करें आत्म सम्मान।दर्प विनाशक है बहुत, ढह जाता अभिमान।। लोक अमंगल ना करें, मंगल करें पुनीत।जन मन भरते भावना, साखी वही…