चंद फूलों की खुशबू – अनिल कुमार गुप्ता

यह एक ग़ज़ल है जिसमे जिन्दगी को रोशन किस तरह से किया जाए इस बारे में जिक्र किया गया है |
चंद फूलों की खुशबू से कुछ नहीं होता - ग़ज़ल - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम "

चंद फूलों की खुशबू – अनिल कुमार गुप्ता

चंद फूलों की खुशबू से कुछ नहीं होता

चलो फूलों का उपवन एक सजाएं

चंद मोतियों से कुछ नहीं होता

चलो मोतियों की माला एक बनाएं

चंद सितारों से कुछ नहीं होता

सितारों से सजा एक गगन बनाएं

चंद फूलों से कुछ नहीं होता

चलो फूलों का उपवन एक सजाएं

चंद मुस्कुराहटों से कुछ नहीं होता

चलो हँसी की बगिया एक सजाएं

चंद किरणों से कुछ नहीं होता

चलो प्रयासों का सूरज एक सजाएं

चंद कोशिशों से कुछ नहीं होता

चलो कोशिशों को मंजिल एक दिखाएँ

चंद दीपों से कुछ नहीं होता

चलो दीपों की माला एक बनाएं

चंद उसूलों से कुछ नहीं होता

चलो जिन्दगी को उसूलों का समंदर एक बनाएं

चंद फूलों की खुशबू से कुछ नहीं होता

चलो फूलों का उपवन एक सजाएं

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