चेहरे पे कई चेहरे / राजकुमार मसखरे

चेहरे पे कई चेहरे / राजकुमार मसखरे

 मुखौटा
मुखौटा


चेहरे पे लगे हैं कई चेहरे
इन्हें पढ़ना आसान नही,
जो दिखती है मुस्कुराहटें
वो नजरें हैं दूर और कहीं !

इतने सीधे-सादे लगते हैं
जो मुखौटा लगाए बैठे हैं,
ये निर्बलों व असहायों के
जज़्बातों के गला ऐठें हैं !

मासूम चेहरा,इरादे खिन्न
भीतर राज छुपा रखते हैं,
जब भी मौका मिले इन्हें
गरल वमन को लखते हैं !

सूरत पर मत जाओ यारों
वो सीरत की पता लगाओ,
न जानें ये कब रंग बदल दे
फिर कालांतर में पछताओ !

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।