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चेहरे पे कई चेहरे / राजकुमार मसखरे

चेहरे पे कई चेहरे / राजकुमार मसखरे

 मुखौटा
मुखौटा


चेहरे पे लगे हैं कई चेहरे
इन्हें पढ़ना आसान नही,
जो दिखती है मुस्कुराहटें
वो नजरें हैं दूर और कहीं !

इतने सीधे-सादे लगते हैं
जो मुखौटा लगाए बैठे हैं,
ये निर्बलों व असहायों के
जज़्बातों के गला ऐठें हैं !

मासूम चेहरा,इरादे खिन्न
भीतर राज छुपा रखते हैं,
जब भी मौका मिले इन्हें
गरल वमन को लखते हैं !

सूरत पर मत जाओ यारों
वो सीरत की पता लगाओ,
न जानें ये कब रंग बदल दे
फिर कालांतर में पछताओ !

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