बाल-दिवस पर कविता

बाल-दिवस पर कविता

आ गया बच्चों का त्योहार/ विनोदचंद्र पांडेय ‘विनोद’

जवाहरलाल नेहरू

सभी में छाई नयी उमंग, खुशी की उठने लगी तरंग,

हो रहे हम आनन्द-विभोर, समाया मन में हर्ष अपार !

आ गया बच्चों का त्योहार !

करें चाचा नेहरू की याद, जिन्होंने किया देश आजाद,

बढ़ाया हम सबका, सम्मान, शांति की देकर नयी पुकार ।

आ गया बच्चों का त्योहार !

चलें उनके ही पथ पर आज, बनाएं स्वर्ग-समान समाज,

न मानें कभी किसी से बैर, बढ़ाएं आपस में ही प्यार !

आ गया बच्चों का त्योहार !

देश-हित में सब-कुछ ही त्याग, करें भारत मां से अनुराग,

बनाएं जन सेवा को ध्येय, करें दुखियों का हम उद्धार ।

आ गया बच्चों का त्योहार ।

कदम मिला बढ़े चलो/ मलखानसिंह सिसोदिया

सुनील आसमान है हरी-भरी धरा,

रजत भरी निशीथिनी, दिवस कनक भरा।

खुली हुई जहान की किताब है पढ़ो,

बढ़ो बहादुरों, कदम मिला चलो बढ़ो ||

चुनौतियाँ सदर्प वर्तमान दे रहा,

भविष्य अंध सिंधु बीच नाव खे रहा ।

भिड़ो पहाड़ से अलंघ्य श्रृंग पर चढ़ो,

विकृत स्वदेश का स्वरूप फिर नया गढ़ो ।

विवेक, कर्म, श्रम, ज्योति-दीप को जला,

प्रमाद, बुजदिली, विषाद हिमशिला गला ।

अजेय बालवीर ले शपथ निडर बढ़ो,

सुकीर्ति दीप्त से स्वदेश भाल को मढ़ो ||

समाज-व्यक्ति, राष्ट्र- विश्व शृंखला मिला,

अटूट प्रेम-सेतु बाँधते हुए बढ़ो,

अखंड ऐक्य-केतु गाड़ते हुए बढ़ो।

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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