चोका कैसे लिखें
- शिल्प की दृष्टि से चोका की पंक्तियों में क्रमशः 5 और 7 वर्णों की आवृत्ति होती है तथा अंतिम पाँच पंक्तियों में 5,7,5,7,7 वर्णक्रम अर्थात एक ताँका के क्रम से कविता पूर्ण होती है ।
- कविता की लंबाई की सीमा रचनाकार की भाव पूर्णता पर निर्भर रहती है । या यूँ कहें कि 05,07 वर्णक्रम की अनवरत भावात्मक पंक्तियों में 07,07 वर्णक्रम की शेष दो पंक्ति से चोका के भाव की पूर्णता होती है ।
- चोका में कुल पंक्तियाँ हमेशा 09 या उससे अधिक परंतु विषम ही रहेंगी ।
- जापान में चोका का वाचन नहीं वल्कि उच्च स्वरों में गायन की परंपरा रही है ।
- चोका के उदाहरण स्वरूप मेरी एक रचना देखें ——-
मनीभाई नवरत्न के हिंदी में चोंका
प्रदीप कुमार दाश “दीपक” का चोका
कैसे उड़ेगी
पंख हीन चिड़िया
ओ री बिटिया !
ओ भाव की पिटारी
प्यारी बिटिया !
कब तक सहेगी
चुप रहेगी
आँगन की तुलसी
रोगों की दवा
रहेगी कब तक
मुरझाई सी
अपनी इच्छाओं की
घोंटती क्यों तू गला ?
प्रदीप कुमार दाश “दीपक”
अविनाश तिवारी का चोका
मां की ममता
त्याग औऱ तपस्या
मां की मूरत
ईश्वर का है नूर
मां की ये लोरी
सुरों की सरगम
मां का आंचल
चंदा जैसी शीतल
गंगा सा है निर्मल।
पिता का साया
बरगद की छाया
पिता का त्याग
सन्तान का भविष्य
पिता का दर्द
जान सका न कोई
पिता का प्यार
असीमित आकाश
व्यापक है विस्तार
@अवि
अविनाश तिवारी
अमोरा
जांजगीर चाम्पा
छत्तीसगढ़