दीपमाला
जहाँ जन्म हुआ श्री राम का,
वेशभूषा वो ही भारत की।
राम शिला रखी आज जाएगी,
शान यही भारत की॥
आओ सुनाता हूँ तुम को,
राम नाम की कहानी।
वन वन काटों से पूरी भरी,
राहें बीती थी पुरानी॥
सूने सूने थे घर घर,
हर ओर अँधेरा कैसा छाया।
राम नाम खुशियाँ,
चौदह बरसों तक मुरझाया॥
दीपमाला से सजी,
हर घर हुए सुगंध्दित।
राम आय वनवास से,
दीप हुए प्रज्वलित॥
© कवि सचिन चतुर्वेदी ‘अनुराग्यम्’