देवी के अनेक रूप – प्रिया शर्मा

देवी दुर्गा के स्वयं कई रूप हैं (सावित्री, लक्ष्मी एव पार्वती से अलग)। मुख्य रूप उनका “गौरी” है, अर्थात शान्तमय, सुन्दर और गोरा रूप। उनका सबसे भयानक रूप “काली” है, अर्थात काला रूप। विभिन्न रूपों में दुर्गा भारत और नेपाल के कई मन्दिरों और तीर्थस्थानों में पूजी जाती हैं। माँ के अनेक रूप है इन महान माओ पर कविता बहार की कुछ अनमोल कविता –

durgamata
आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी माँ दुर्गा पूजा Navami Maa Durga Puja from Ashwin Shukla Pratipada

चंडी है, दुर्गा है, तू ही तो महाकाली है,

वन-उपवन में तू ही तो फूलों को महकाती है।

महिषासुर मर्दिनी है, तू ही शिव की शक्ति है,

हर स्त्री में अंश तेरा ही, तू निष्ठा और भक्ति है।

लक्ष्मी है, गौरी है, तू घुंघरू की झनकार है,

ज्ञान की देवी तू ही, तू नारी का श्रृंगार है।

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सीता है, भगवद्गीता है, तू काली का अवतार है,

चण्ड -मुण्ड संहारिणी है, तू तेजधार तलवार है।

गंगा है, यमुना है, तू ही सृष्टि का आधार है,

राधा तेरे नाम से इस जग में प्रेम भाव विस्तार है।

अन्नपूर्णा है, अनसुइया है, तू अहिल्या सी नारी है,

सबरी की भक्ति तू, तू द्रौपदी की विस्तृत साड़ी है।

गीत तुझी से, साज तुझी से, तुझमें ज्ञान अपार है,

भ्रमरों दी गुंजन तुझसे, नदियों की कलकल तुझसे, तुझमें सकल संसार है।

प्रिया शर्मा

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