रामधारी सिंह दिनकर जी
तेईस सितम्बर सरस,सन उन्नीस सौ आठ।
बालक एक जन्म लिया,शुभ सेमरिया घाट।।
बेगु सराय बिहार में , है सेमरिया घाट।
होनहार बालक हुआ,मिला न जिनका काट।।
मन में ज्ञानालोक ले ,सुख-दुख सह आघात।
नाम रामधारी पड़ा ,हुआ जगत विख्यात।।
महा धर्मज्ञ मर्मज्ञ थे , राह प्रदर्शक नेक।
सुकवि हृदय विशाल रहे,लख लाखों में एक।।
शारद यशस्वी लाल थे ,भव्य भारती भाल।
शैली लेखन की सरस,कौशल कला कमाल।।
शुभ वाणी विचार बुध्दि, उत्तम नेक उदार।
साहित्य में लवलिन हो ,करते सत्य प्रचार।।
भाषा सुन्दर मृदु वचन,रहे गुणों की खान।
दया धर्म सुमर्म लिये , दिनकर रहे महान।।
नाम काम उनका सदा ,अमर रहे इतिहास।
काव्य महक से उनके ,चहुँदिशि सदा सुवास।।
दिनकरजी व्दारा सृजित,कालजयी हरशब्द।
वैभव हिन्दी का अहा , हूँ बर्णन निःशब्द।।
जन्म जयंती पर महा ,संस्मरण कर याद।
हर्ष व गौरव की सदा,सु-अनुभूति आबाद।।
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
बाबूराम सिंह कवि
बडका खुटहाँ, विजयीपुर
गोपालगंज (बिहार)841508
मो॰नं॰ – 9572105032
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””