ईश्वर से साक्षात्कार कराता है संगीत – अनिल कुमार गुप्ता ‘अंजुम’

इस रचना के माध्यम से कवि ने संगीत के विभिन्न आयामों को जीवन से जोड़ने का प्रयास किया है.
ईश्वर से साक्षात्कार कराता है संगीत - कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'

ईश्वर से साक्षात्कार कराता है संगीत – अनिल कुमार गुप्ता ‘अंजुम’

महादेव


ईश्वर से साक्षात्कार कराता है संगीत
ख़ुदा की इबादत सिखाता है संगीत ।

दिल के कोने में जब गुनगुनाता है संगीत
स्वयं का खुदा से परिचय कराता है संगीत।

कहीं माँ की लोरियों में गुनगुनाता है संगीत
कहीं कृष्ण की बांसुरी में भाता है संगीत ।

गायों की गले की घंटी से जन्म लेता संगीत
कहीं बैलगाड़ी की घंटियों से उपजता संगीत।

कहीं प्रेयसी को प्रेमी से मिलाता संगीत
कहीं नवजात को मुस्कुराना सिखाता है संगीत ।

संगीत का स्वयं से स्वयं का परिचय नहीं
लोगों के सोये भाग्य जगाता है संगीत।

बंज़र में भी फूल खिलाता है संगीत
उदास चेहरे पर मुस्कान जगाता है संगीत ।

कहीं खुदा की इबादत हो जाता है संगीत
कहीं कुरआन की आयत , गीता के श्लोक हो जाता है संगीत।

कहीं दूर चरवाहे के दिल में बसता संगीत
कहीं पंक्षियों के कलरव से उपजता संगीत ।

संगीत की कोई सीमा नहीं होती
धरती के कण – कण में बसता है संगीत।

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  1. वाह सरजी बहुत सुंदर कविता

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