स्वास्थ्य पर सजगता – विनोद सिल्ला

स्वास्थ्य पर सजगता

सेहत सुविधा कम हुई, बढ़े बहुत से रोग|
दाम दवाओं के बढ़े, तड़प रहे हैं लोग||

अस्पताल के द्वार पर, बड़ी लगी है भीड़|
रोग परीक्षण हो रहे, सब की अपनी पीड़||

ऊंचे भवन बना लिए, पैसा किया निवेश|
दूर हुआ जब प्रकृति से, पनपे सभी कलेश||

खान-पान बदले सभी, फास्ट-फूड परवान|
रोगों की भरमार को, झेल रहा इंसान||

कुदरत का दोहन किया, प्रबल स्वार्थ का भाव|
कंचन तन रोगी हुआ, डगमग डोले नाव||

मानव तन उपहार है, कुदरत का अनमोल|
रखिए इसे सँभाल के, मत कर मिट्टी मोल||

“सिल्ला” काया साध बन, अपना दीपक आप|
अपने ज्ञान उजास से, सारे तम को ढाप||

विनोद सिल्ला©

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