चुगली रस – विनोद सिल्ला

चुगली रस

मीठा चुगली रस लगे, सुनते देकर ध्यान।
छूट बात जाए नहीं, फैला लेते कान।।

चुगलखोर सबसे बुरा, कर दे आटोपाट।
नारद से आगे निकल, सबकी करता काट।।

चुगली सबको मोहती, नर हो चाहे नार।
चुगली के फल तीन हैं, फूट द्वेष तकरार।।

चुगली निंदा जो करें, सही नहीं वो लोग।
चुगल पतन की ओर है, पड़े भोगना सोग।।

चुगली निंदा से बचो, भली नहीं यह कार।
चुगलखोर बदनाम रह, मिले नहीं सत्कार।।

खतरनाक सबसे बड़ी, तुड़वादे यह प्रीत।
मापदंड सब हारते, चुगली जाती जीत।।

सिल्ला चुगली छोड़कर, लगा हकीकी नेह।
अमन चैन माणो सदा, बरसें खुशियां मेह।।

-विनोद सिल्ला

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