रोटी / विनोद सिल्ला

रोटी

सांसरिक सत्य तो
यह है कि
रोटी होती है
अनाज की
लेकिन भारत में रोटी
नहीं होती अनाज की
यहाँ होती है
अगड़ों की रोटी
पिछड़ों की रोटी
अछूतों की रोटी
फलां की रोटी
फलां की रोटी
और हां
यहाँ पर
नहीं खाई जाती
एक-दूसरे की रोटी।

-विनोद सिल्ला

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।