हिंदी संग्रह कविता- वही देश है मेरा

वही देश है मेरा

वही देश है मेरा,
वही देश है मेरा।

द-ऋचाओं में गूंजा है,
जिसका अम्बर नीला।
जहाँ राम घनश्याम कर गए,
युग-युग अद्भुत लीला।
जहाँ बांसुरी बजी ज्ञान की, जागा स्वर्ण सवेरा।
वही देश है मेरा..

जहां बुद्ध ने सत्य-अहिंसा
का था अलख जगाया।
गुरु नानक ने विश्वप्रेम का
राग जहाँ सरसाया।
मेरे-तेरे भेद-भाव का मन से मिटा अँधेरा।
वही देश है मेरा..

जहाँ विवेकानन्द सरीखे
हुए तत्व के ज्ञानी।
रामतीर्थ के अधरों पर
थी जिसकी अमर कहानी।
जिसके कण-कण में लेता है सूरज नित्य बसेरा
वही देश है मेरा..

जहाँ उदय होता नित सूरज
दिन में करे उजाला,
जहाँ रात को चंदामामा,
भरे अमृत का प्याला।

सतलुज, गंगा, ब्रह्मपुत्र की,
जहाँ बह रही धारा,
गोदावरी, नर्मदा, कृष्णा
का क्रीड़ा-स्थल प्याराँ
जिनका पावन तट ऋषियों का
रहा ज्ञान का डेरा,
वही देश है मेरा।

उत्तर और हिमालय जिसकी
शोभा नित्य निखारे,
दक्षिण में ही सागर जिसके,
पावन चरण पखारे।
जिसकी माटी सोना उगले,
धरती जीवन देती,
जिसके हली अन्न के दाता,
न्यारी जग से खेती।
जहाँ बसंत आदि छह ऋतुएँ भर फेरा,
वही देश है मेरा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *