हम भी दीवाने और तुम भी दीवाने
इश्क में हो गये हम दीवाने
इश्क में हो गये हम वीराने
इश्क में दौलत क्या है ?
इसमें लुट गये सारे खजाने
इश्क में हो गये हम दीवाने
हम भी दीवाने और तुम भी दीवाने।।
शीरीं भी मर गयी मर गया फराद भी
लैला भी मर गई मर गया मजनू भी
मर जायें इश्क में हम भी
लिख जाये हम भी अपने फसाने
हम भी दीवाने और तुम भी दीवाने
हम भी वीराने ओ तुम भी वीराने।।
अगर एक आशिक को उसका
महबूब मिल जाए तो
इस जहाँ को एक और ताज मिल जाये
लगते हैं अब इश्क के किस्से पुराने
हम भी दीवाने ओ तुम दीवाने
इश्क में हो गये हम दीवाने।
-शादाब अली ‘हादी’