जल पर कविता

जल पर कविता

जल पर कविता

जल जीवन का सार है।
जल जीने का आधार है।
जल प्यासे की पुकार है।
जल जीवन का करतार है।
जल है तो कल है।
जल बिना जीवन विकल है।
बूँद बूँद का संचय कर मधुर।
तब ही होगा तेरा जीवन सफल है।
जल ही जीवन है।
इसे व्यर्थ में न बहाएँ।
जल संचय कर मधुर।
अपना कर्तव्य निभाएँ।
जल जीवन की पहचान है।
जल बिना काम तमाम है।
जो पहले नदियों की धारा थी।
आज बोतलों में बिकता सरेआम है।
जल संचय है एक सम्मान ।
न करें कभी इसका नुकसान।
बहुत हुआ जल,जंगल,जमीन का दोहन।
अब तो सुधर जा हे इंसान।

*सुन्दर लाल डडसेना”मधुर”*
ग्राम-बाराडोली(बालसमुंद),पो.-पाटसेन्द्री
तह.-सरायपाली,जिला-महासमुंद(छ. ग.)
मोब.- 8103535652
9644035652
ईमेल- [email protected]

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