सुहागिनों का प्रेम और आस्था का त्यौहार /  डॉ एन के सेठी


इस दोहों की श्रृंखला में करवा चौथ के त्यौहार का सुंदर चित्रण किया गया है, जिसमें सुहागिनें अपने पति की दीर्घायु और सुखमय जीवन की कामना के लिए व्रत रखती हैं। दिनभर की पूजा-अर्चना के बाद, वे चंद्रमा का दर्शन कर व्रत खोलती हैं और अपने पति के प्रति अमिट प्रेम और समर्पण को प्रकट करती हैं। इन दोहों में त्यौहार की परंपराएं, सौभाग्य और अखंड प्रेम की भावना को भावुकता से व्यक्त किया गया है।

सुहागिनों का प्रेम और आस्था का त्यौहार



आया करवा चौथ है, खुशियों का त्यौहार।
इसे मनाती सुहागिनें, पाए पति का प्यार।।

पति  की आयु दीर्घ हो,  करे कामना नार।
करती व्रत वह चौथ का,पूजे वह भरतार।।

धूप  दीप   नैवेद्य  से,   करती  पूजन  नार।
अक्षत  रोली  साथ  में, आरत लेय  उतार।।

दर्शन करती पीय का, फिर लेती व्रत खोल।
पति पत्नी का प्रेम ही, होता  है  अनमोल।।

सजी धजी   है  नारियाँ, लगे  अप्सरा  लोक।
मुख उनका ज्यों चंद्रमा,फैला जग आलोक।।

व्रत   खोले   वे   रात  में,  लेती   चंद्र  निहार।
देती  अर्घ्य  सुहागिनें,  सुखी  हो  घर संसार।।

माँ  अखंड  सौभाग्य हो, विनय करे बस एक।
प्रेम  न  कम  हो पीय का, यही कामना नेक।।


                           *© डॉ एन के सेठी*

दिवस आधारित कविता