काश तुझे भी मेरे साथ रहना आ जाए
लिख दी मैंने अपनी भावनाएं पन्नों में उतार के
काश तुझे शब्द की जगह भावनाएं पढ़ना आ जाए
छुपा ली है मैंने सारी मोतियां अपनी आंखों में
काश तुझे ये आंसू चुराना आ जाए
दिल में दबा के रखे हैं मैंने कुछ दर्द ए आलम
काश तुझे इन्हे समझना आ जाए
गुजर रही हूं मैं हालात ए मुश्किलों से
काश तुझे संभल के चलना आ जाए
चुप हूं कहीं मै आज समाज के डर से
काश तुझे अपने लिए कहना आ जाए
थक गई हूं मै ये जिंदगी का सफर तय करते
काश तुझे भी थोड़ा मेरे लिए रुकना आ जाए
खूबसूरत लगेगी ये जिंदगी भी मुझको
काश तुझे भी मेरे साथ रहना आ जाए
रीता प्रधान, रायगढ़