कोहिनूर की आभा – डिजेन्द्र कुर्रे कोहिनूर
सत्यनाम के ज्ञान का,करो हृदय में ध्यान।
गुरुवर की पाकर कृपा,बनना परम महान।।
सत्य वचन नित बोलिए,यह मिश्री का घोल।
तन मन को पावन करें,अनुपम मीठे बोल।।
पावनता मन में रहे , फैले ज्ञान प्रकाश।
दर्पण सम स्वछन्द हो,जीवन का आकाश।।
बढ़ जाता मन भाव में,सहज प्रखर विश्वास।
जब करते हम पर कृपा ,गुरुवर घासीदास।।
परम प्रर्वतक सत्य के , गुरुवर बंदी छोर।
सत प्रकाश फैला गए,दुनिया में चहुँ ओर।।
श्वेत ध्वजा लहरा रही , जग में चारों ओर।
धरती से आकाश तक,सत्यनाम की शोर।।
गुरुवर के दरबार में, नित्य झुकाकर शीश।
पापीजन को भी मिले,शुभ पावन आशीष।।
कोहिनूर करने लगा , गुरुपद का गुणगान।
तब मिटते मन से सहज,क्रोध कपट अभिमान।।
डिजेन्द्र कुर्रे”कोहिनूर”
छत्तीसगढ़(भारत)