कुछ दिन जीवन बाकी है
===============
न कर गुरूर इस जगत में
न ही कोई ठौर ठिकाना है।
आया है जो इस जहां पे
निश्चय ही होना रवाना है।।
बना हुआ है जो यह भ्रान्ति
सारी दुनिया हमारा है।
कान खोलकर सुन मुरख
सबन का यहां से रवाना है।।
न आयेगा कोई पास तुम्हारा
न कोई तुझे बचायेगा।
जब तक रहेगा इस दुनिया में
हर कोई तुझे सतायेगा।।
विजय हृदय तो समझ गया
सब स्वारथ के साथी हैं।
इस जीवन का क्या भरोसा
दीया पे जलते एक बाती हैं।।
राम नाम का कर भरोसा
कृष सुदामा सा साथी हैं।
एक भरोसा एक विश्वास
कुछ दिन जीवन बाकी है।।
डॉ विजय कुमार कन्नौजे अमोदी आरंग ज़िला रायपुर छ ग