मनीभाई के प्रेम कविता

मनीभाई के प्रेम कविता

दुख की घड़ियां है दो पल की

दुख की घड़ियां है ,दो पल की।
फिर क्यों तेरी ,आंखें छलकी ।।
याद ना कर ,बातें कल की ….
जाने जां  …जाने जां …
जानेजां …जानेजां…


माना दौर है , मुश्किल की ।
आदत नहीं तेरी ,महफिल की ।
मुस्कुरा तो जरा ,ख्वाहिश है दिल की….
जाने जां  …जाने जां …
जानेजां …जानेजां…


हम भी तेरे अपने हैं ,साथ कभी न छोडेंगे।
कर ले मेरा एतबार ,रुख ना कभी मोड़ेगे ।
तुझको जो पसंद हो, ऐसा रंग घोलेंगे ।
तुमको जो ना पसंद हो ,ऐसी बात ना बोलेंगे ।
काली रतिया है दो पल की…
फिर आएंगी रातें झिलमिल की ….
याद ना कर ,बातें कल की ….
जाने जां  …जाने जां …
जानेजां …जानेजां…


खा रहे हैं ये कसम ,मिलते रहेंगे हर जनम ।
प्यार ना होगा कम ,आंखें भी ना होंगे नम।।
जो तू मेरे पास है ,जिंदगी तो खास है ।
जब तू होती उदास है ,इक पल भी ना रास है ।
रास्ते हमारे मिलोंमिल की ….
फिर भी पता मंजिल की ….
मुस्कुरा तो जरा ,ख्वाहिश है दिल की ….
जाने जां …… जाने जां …..
जाने जां …… जाने जां …….

बहकने लगा हूं क्यों आजकल

बहकने लगा हूं क्यों आजकल
महकने लगा हूं क्यों आजकल


तेरा संगत है या रंगत है इश्क का
चमकने लगा हूं क्यों आजकल
बहकने लगा हूं क्यों आजकल


तू ही हमसफ़र है तू ही मरहला
तू ही रह बर है दूर करे हर बला
तू ही अब जुनून मेरा मैं मनचला
तुम से दिन हो शुरू तुमसे शाम ढला
तेरी चाहत है या इशारत है इश्क का
बदलने लगा हूं क्यों आजकल


तू ही दुआ है तू ही तमन्ना
जब से तू छूआ है तू ही  कामना
तू रहे मेरे रूबरू जाओ कहीं ना
तू मिली  मुझे मानो रब का नजराना ।
तेरा नशा ज्यादा है या वादा है इश्क का
बरसने लगा हूं क्यों आजकल।।

  • मनीभाई नवरत्न

लमहे खुशी के बेफिक्रे जिंदगी के

यह लमहे खुशी के बेफिक्रे जिंदगी के ।
आज मिला है सब सारे रंग घुल के ।
हर रंग में रंगूंगा हर संग में चलूंगा ।
जहां ले जाए कदम हर जंग में जीतूंगा।
याद है वह बातें कल के ।
यह लमहे खुशी के …
खोया जोश मिला मुझको
बहा होश मिला मुझको ।
जो पल पल साथ दे
ऐसा दोस्त मिला मुझको ।
अब तो जिंदगी है मुस्कुराने के ।
ये लमहे खुशी के ……

  • मनीभाई नवरत्न

कुछ ऐसे जुड़े किस्से मेरे तुमसे

कुछ ऐसे, जुड़े किस्से ,मेरे तुमसे ।
जैसे कागज का कलम से ।
जैसे पत्रों का शबनम से।
कसम से हां कसम से ।।

यार जुड़ा मुझसे जैसे चंदा से रोशनी ।
यार जुड़ा मुझसे जैसे बरखा से दामिनी ।
जुड़ गया तुमसे साथी जैसे दिया संग बाती ।।
कुछ ऐसे जुड़े किस्से मेरे तुमसे।
जैसे दुनिया का जन्म से ।
जैसे चाहत का सनम से ।
कसम से हां कसम से ।

रहना मेरे संग जैसे राजा की रानी ।
करना मुझसे जंग जैसे आग से पानी।
मिल जाना मुझसे दिलबर जैसे सागर से लहर ।।
कुछ ऐसे जुड़े किस्से मेरे तुमसे ।
जैसे संतो का रहम से
जैसे दुल्हन का शरम से ।।
कसम से हां कसम से

गुलशन मेरे दिल के खिलने लगे

गुलशन मेरे दिल के खिलने लगे ,
जब वह हमसे मिलने लगे ।।
मन के सारे दाग घुलने लगे ,
जब वह हमसे मिलने के लगे। कोई तो है ?

जो अपना है,
मैं जिसमें खो जाऊं ऐसी कल्पना है ।
सोच कर ही जिसको मेरी जान मचलने लगे।।

प्यार से तू प्यारी है ,
खुशियां मैंने दिल के तुझपे वारी है।
जाये तू जहां भी, हम संग जैसे चलने लगे।।

दुरियां घटा दी निगाहें मिलाने के लिए।
आशिकी बढ़ा ली प्यार पाने के लिए ।
तूने छू लिया मुझको तो रूह पिघलने लगे।।

🖋मनीभाई नवरत्न

उसकी होंठ होठों में लाली

उसकी होंठ, होठों में लाली ।
उसकी आंखें, आंखों में काली ।
उसकी कान, कानों में बाली ।।
उसकी चाल, चाल मतवाली ।।
रात दिन तड़पा हूं मैं
करता रहा उसको फरियाद ।
अब ना पीर सहा जाए
करके उसका याद ।।

ढूंढा करता हूं मैं उसे
हर चौराहे हर गली।

तारीफें करें क्या उनकी
वो तो थी कुछ नई।
देख होश उड़ा करते थे
दिल दे बैठे कई।
शायद इसलिए लिए तू न मिली
सचमुच तू थी फुलझड़ी ।

गुम हो गई तुम हमसे
जिस रात को थी दीवाली।
वो चली गई दूर हमसे
फिर भी दिल में यादें हैं ।
शौक ए दिल में सनम
गूंजती तेरी हर बातें हैं ।
सचमुच यह जिंदगी है
एक अजीब सी पहेली।।

मनीभाई नवरत्न

दुख की घड़ियां है दो पल की

दुख की घड़ियां है ,दो पल की।
फिर क्यों तेरी ,आंखें छलकी ।।
याद ना कर ,बातें कल की ….
जाने जां …जाने जां …
जानेजां …जानेजां…


माना दौर है , मुश्किल की ।
आदत नहीं तेरी ,महफिल की ।
मुस्कुरा तो जरा ,ख्वाहिश है दिल की….
जाने जां …जाने जां …
जानेजां …जानेजां…

हम भी तेरे अपने हैं ,साथ कभी न छोडेंगे।
कर ले मेरा एतबार ,रुख ना कभी मोड़ेगे ।
तुझको जो पसंद हो, ऐसा रंग घोलेंगे ।
तुमको जो ना पसंद हो ,ऐसी बात ना बोलेंगे ।
काली रतिया है दो पल की…
फिर आएंगी रातें झिलमिल की ….
याद ना कर ,बातें कल की ….
जाने जां …जाने जां …
जानेजां …जानेजां…


खा रहे हैं ये कसम ,मिलते रहेंगे हर जनम ।
प्यार ना होगा कम ,आंखें भी ना होंगे नम।।
जो तू मेरे पास है ,जिंदगी तो खास है ।
जब तू होती उदास है ,इक पल भी ना रास है ।
रास्ते हमारे मिलोंमिल की ….
फिर भी पता मंजिल की ….
मुस्कुरा तो जरा ,ख्वाहिश है दिल की ….
जाने जां …… जाने जां …..
जाने जां …… जाने जां …….

गीतकार – मनीभाई नवरत्न

माना हम तेरे लायक नहीं

माना हम तेरे लायक नहीं
मनचाहा फल दायक नहीं ।
तो भी हमसे मुख मोड़ो ना
तन्हा छोड़ो ना ।।
यूं तो रिश्ता अपना हर रिश्तों से बढ़कर है ।
फिर क्यों ये फासला हर फासलों से बढ़कर है।
तू रह कर भी रहता नहीं
और ना रह कर भी रहता है ।
मेरा दिल नाजुक शीशे का
गिरा के तोड़ो ना
तन्हा छोड़ो ना ।।
तुमको पाकर पा लिया
मैंने अपना हमसफ़र ।
कतरे कतरे को है पता
बस तुझे ही ना खबर ।
तू कह कर भी कहता नहीं ।
और ना कहकर भी कहता है।
यह जहां है खुदगर्जो का
जिनके पीछे दौड़ो ना
तन्हा छोड़ो ना।।

मेरे गीत अमर कर दो

मेरे गीत!….
मेरे गीत अमर कर दो…
मेरे मीत….
मेरे मीत अमर कर दो ….
मेरे प्रीत…..

कब से दिल ..बेचैन है
कब से ये बेताब है ….
मेरे हर सवाल का तू …
इक हसीं जवाब है ।

तुझे चाहा करूं मैं नित…
मेरे मीत…
मेरे मीत अमर कर दो ….
मेरे प्रीत।

मेरे प्रीत अमर कर दो ….
मेरे गीत—-

कोई ना मेरा… तेरे बिना
तेरे सहारे …अब है जीना
मेरे सफर में..तू मंजिल
तेरा साथ छुटे कभी ना।

तुम संग उमर, जाये रे बीत।
मेरे मीत…
मेरे मीत अमर कर दो ….
मेरे प्रीत।
मेरे प्रीत अमर कर दो ….
मेरे गीत—-

जुड़ गये हैं …..प्रेम के धागे
हम ना रहे ….कोई अभागे
तेरी वफा के दीवाने हैं….
जाने कब…… नसीब जागे
इस प्यार में है हार..है जीत
मेरे मीत…
मेरे मीत अमर कर दो ….
मेरे प्रीत।
मेरे प्रीत अमर कर दो ….
मेरे गीत—-

दो पल के रिश्ते

दो पल के रिश्ते ,बिखरने के लिए ही बनते हैं ।
यादों में बस के हर पल दिल में ही रहते हैं ।
उन लमहों को सोचकर हम
कभी हंसते हो कभी रोते रहते हैं ।
मिलते वक्त सोचा ना था कि बिछड़ जाएंगे ।
खिलते  वक्त फुल भी लगे ना कि झड़ जाएंगे ।
पर समय के दरमियां हम सब गुजर जाना है।
कुछ पाकर के कुछ खो जाना है।
तो क्यों पीर को दबाए हुए सहते ही रहते हैं ।
खुशियां जाती है गम का आभास दिलाने को।
हमको जिंदगी का कड़वा सच से मिलाने को ।
यह जानते हुए भी हम मेहमान चंद घड़ी के
कभी चमकते कभी बुझते सितारे हैं फुलझड़ी के।
मुरझाना है  फूलों को तो क्यों यह महकते हैं?

ये कोई बात है ? जो तू साथ है

ये कोई बात है ?जो तू साथ है ।
और तनहा रात है ये कोई बात है ?
शाम भी ढले, दिल भी जले  आ लग जा गले ।
अधूरी मुलाकात है ये कोई बात है।
तू है चंद्रमुखी तेरी आंखें झुकी पल भी देखो रुकी ।
तड़पे  जज्बात है ये कोई बात है ?
उठ जाए रवाँ  मौसम है जवां  मेरे दिलबर तू कहां।
छुड़ाया जो हाथ है ये कोई बात है?

यह दुनिया हमारा ना होता

यह दुनिया हमारा ना होता,
चांद सितारे का नजारा ना होता।
अगर आप का सहारा ना होता।।

भटक जाते मेरे कदम जीवन की राह में ।
देखते हैं ना अगर तुम अपनी निगाह में।
रखते ना तुम अगर चाह में तो मैं आवारा होता।।

जीने का मतलब है अब ,आप के खातिर ।
मरने का मकसद है अब, आप के खातिर ।
हम बने आपसे माहिर, बिन तेरे गुजारा ना होता।।
अगर आपका ….यह दुनिया…..

रे पिया ! काहे न धीर धरे

रे पिया !काहे न धीर धरे।
सोच-सोचके क्यों तिल-तिल मरे।
कब तक छाये रहे दुख की बदली ।
कभी तो लेंगे अंगड़ाइयां ।
बदल जाएंगे जश्न में तेरी हर एक छोटी तनहाइयां।
अनजानी अनसुनी आहट पर काहे तू डरे ।

रेत सा  छूटता है हाथ से सब कुछ।
पर मेरा नाम साथ छूटेगा।
मायूस हो क्यों तुम ऐसे भला
आखिर कब तक हालात रूठेगा ।
हर दिन पल छिन पंछी नई उड़ान भरे ।

रे पिया काहे ना धीर धरे…

पहली दफा जब नजरें मिली

पहली दफा जब नजरें मिली, लगने लगे थे पागल।
धीरे- धीरे ये असर हुआ है , भूलने लगी मेरा कल।
रंगने लगी, संवरने लगी,
तेरे ही यादों में हर पल।
मचलने लगी, संभलने लगी,
तुमसे गई हूँ बदल।
नकल …आजकल
करने लगी तेरी नकल।
अमल…. हरपल
बातों पे तेरी हो अमल।

गुम हो गई मेरी चहुँ  दिशाएं

गुम हो गई मेरी चहुँ  दिशाएं ।
कोई आकर मुझे  राह दिखाए ।
भटक ना जाऊं गम के भंवर में।
सैलाब उमड़ रहा है हर एक लहर में  ।
हाथ पकड़कर तूफान से लड़कर
कोई मुझे पार लगाए ।

छा रहा है निराशा के बादल
दिल में बढ़ रही है हलचल ।
न जाने किसका कोप छाया
आशा की किरण न दिखे एक पल।
अब तो कोई मुझे चाहकर पास आकर बुलाए ।।

धुआँ सा छा रहा मेरे चारों ओर
जकड़ा मैं जा रहा न जाने किस डोर?
खलबली सी मची मेरे आस पास
एक घड़ी एक लम्हा ना आए मुझे रास।
कोई दीवानी अपना बनाकर मुझको दीवाना बनाए।।

तेरी एक छुअन से

तेरी एक छुअन से
दिल मेरा पिघल जाता है ।
तेरी एक छुअन से
मन मेरा बहल जाता है ।
तेरी एक छुअन से
मेरी सांसे रुक जाती है ।
तेरी एक छुअन से
मेरे नैन झुक जाती है ।
तेरी एक छुअन से
बदल गई मेरी दुनिया ।
तेरे इक छुअन से
छा गई मदहोशियां ।
तेरी एक छुअन से
चैन मेरा खोने लगा ।
तेरी एक छुअन से
कुछ-कुछ होने लगा ।
तेरी एक छुअन से
तन मेरा महक जाता है ।
तेरी एक छुअन से
यह समाँ चहक जाता है।
तेरी एक छुअन से
मुझे खुशियां मिल जाती है ।
तेरी एक छुअन से
ये हथेलिया खिल जाती है।

कैसे सुबह आज है ?

कैसे सुबह आज है ?
रंग बिरंगी साज है ।
कुछ तो छुपी  राज है।
आज अलग अंदाज है।

जिया… जिया धड़क जाती है .
पिया…. पिया गाती है .
सिखलाती है मुझे ,मोहब्बत कैसे करूं ।
तिल तिल करके तुझ पर क्यों ना मरू ।
कभी शर्म आऊं कभी घबराएं
कैसे मुझे लाज है?
आज अलग अंदाज है ।।

होके ….होके तुमसे मैं दूर .
लौटे….लौटे पांव मेरे मजबूर.
कसूर नहीं सजना तेरा कुछ इसमें ।
मैं ही नहीं मेरे बस में ।
कभी गीत गाऊं कभी गुनगुनाऊं
कैसे गले में राग है ?
आज अलग अंदाज है।।

जाओ जी जाओ ढूंढ के लाओ

जाओ जी जाओ ,ढूंढ के लाओ।
मोरे पिया को,  ढूंढ के लाओ।
रुठ गई है जो हमसे
टूट गई है जो दिल से
उनको तुम मनाओ ।।

बड़ी जिद्दी है ,दूर चली जाएगी ।
बड़ी जिंदगी है, उस से कटना पाएगी ।
मेरा कोई दोष नहीं,
कोई तो समझाओ ।।

बड़ी झूठी है ,हम को तड़पा रही है।
बड़ी मीठी है, अपना जी बहला रही है।
जान गए हम उनकी शरारतें ,
इतना ना इतराओ ।।
जाओ जी जाओ….

मनीभाई नवरत्न

मोहब्बत हुआ है हमको जरूरत नहीं किसी का

मोहब्बत हुआ है हमको जरूरत नहीं किसी का ।
शरारत हुआ है हमको इजाजत नहीं किसी का ।

अब तो सुहानी रातें होंगी ।
महबूब से प्यारी बातें होंगी ।
झुकेगी नहीं हमारी प्यार काबिलियत हमारी जोड़ी का

मोहब्बत हुआ है हमको जरूरत नहीं किसी का ।

चैन से बिता सकेंगे अब रात दिन ।
एक पल भी जी ना सकेंगे तेरे बिन।
ऐसे ही प्यार में इजहार हुआ हम दोनों का
मोहब्बत हुआ है….

दिलबर ने दिल से मेरे दिल को आँका है।
मैंने भी इन आँखो से उनके दिल को झाँका है।
अब तो इंतजार है दिलबर से मुलाकात का।
मोहब्बत  हुआ है ….

मनीभाई नवरत्न

मन की लालसा ये

मन की लालसा ये,
पहचान बना ले ये तेरे दिल में ।
फिर चाहे मौत मिले मुझे,
हंसते हुए लगा लूं  उसको गले।
मेरे चाहत का खुलासा ये,
मन की लालसा ये।

बाजी हारना मुझे जितना आता है
उससे ज्यादा जीत लेना आता है।
फिर भी तुझे पाने में उलझन है
कहीं तो नहीं निराशा ये।
मन की लालसा ये।

तेरी ख्वाहिश हद से बढ़ जाए, ना डरता हूं ।
सारे पल तुझे रिझाने की कोशिश करता हूं।
तेरी अनदेखी से झुकी पलकें,
कहीं तो नहीं रूआसा  ये।
मन की लालसा ये

रातोरात शोहरत मिल जाए मुझको

रातोरात शोहरत मिल जाए मुझको।
ऐसी मोहब्बत मिल जाए मुझको ।
फिर मरने का डर क्या है ?
फिर ऊँची उमर में रखा क्या है ?
जब मनचाहा चाहत मिल जाए मुझको ।।
गुजरे जमाना, उजड़े फसाना।
फिर भी सांस वैसी हैं ।
बिखरे  मन, उजड़े चमन ,
फिर भी प्यास वैसी है ।
चाहे बार बार टूटे आस ,पर राहत मिल जाए मुझको ।।
कई रातें ,अरमानों की बारातें ,गुजरे तनहाई में।
कुछ पुराने कुछ नहीं अफसाने आज ही परछाई में ।
झूमे हम सारी रात ऐसी दावत मिल जाए मुझको ।।
रातों रात शोहरत मिल जाए मुझको।।

तनहाइयां मिटने लगी

तनहाइयां मिटने लगी ,दुरियां  घटने लगी।
जब तुम मुझ से सिमटने लगी ।
अल्लाह मिल गया रे खुशियां सुभानल्लाह।

मिला मुझे यार ,प्यार का बुखार।
मन बेचैन है दिल है बेकरार।
जीवन का ये कगार, जवानी की इस पार ।
कब बदला बचपन बसंत ,कब आई बहार ।
सितारा छँटने लगी,  अंधियारा हटने लगी ।
जब तुम मुझ से सिमटने लगी
अल्लाह मिल गया रे खुशियां सुभानल्लाह।।

होश मुझे नहीं यह बेहोशी का दौर है ।
चुप रहले तू भी यह खामोशी का दौर है ।
झूम ले प्यार के लिए ये मदहोशी का दौर है।
मिट ले यार के लिए सरफरोशी का दौर है ।
बेल सी लिपटने लगी खेल सी झपटने लगी ।
जब तुम मुझसे सिमटने लगी है ।
अल्लाह मिल गया रे खुशियां सुभानल्लाह

पर्दा उठेगा चेहरे दिखेंगे

पर्दा उठेगा चेहरे दिखेंगे।
गोरे तन में काले दिल मिलेंगे।
पहले अपना के प्यार करेंगे।
फिर चुपके से दिल में वार करेंगे ।

पल पल पलकों में उसे बिठाया।
खुश रहे वो, तो अपना गम छिपाया।
पर अब ना किसी से हम मरेंगे । पर्दा उठेगा चेहरे दिखेंगे—

बीते लम्हें सोच के रोता हूं ।
अब ना मैं चैन से सोता हूं।
तुम्हें याद करूं बार-बार
आंखें भी आंसू से धोता हूं ।
अब दिल के गुलशन में फूल न खिलेंगे।
पर्दा उठेगा चेहरे दिखेंगे—

नजरों से कर गई वो दिल की हर एक बात

नजरों से कर गई वो
दिल की हर एक बात ।
कह गई वो कब होगी
पहली मुलाकात ।।
हम दिल थाम बैठे
जागते रहे लेकर करवटें ।
बीती सारी रात ।।
जवानी की रातें बेकरार की होती ।
हर बेकरारी प्यार की ना होती ।
फिर कैसे जाने इस दिल की हालात।।
मन का क्या है? यह है बावरा।
कुछ भला सोचे ?कुछ सोचे ये बुरा।
उस लड़की से मेरी क्या होगी नात?
फिर भी वह आए तो महकेंगे मेरे घर।
चैन से कट जाएगी जीवन का सफ़र ।
पर मिलने से पहले हो जाए फेरे सात।
नजरों से कर गई वो दिल की हर एक बात।।

तू ही मेरी जमीं

तू ही मेरी जमीं….तू है गगन।
रे साजना……ं
तुझे मांगू रब से….होके मगन।
रे बालमा……. जलता हूँ …पिघलता हूँ…..
तेरे यादों में ..तड़पता हूँ…..
जितना सोचूं …उतना तरसूं
यादें अगन बन…झुलसाये तन।।

ओ मेरे दिल के हूजूर

हां मैं  हूँ ,तुमसे दूर
पर मैं हूँ, बेकसूर ।
मुझे परवाह है तुम सबकी
इसीलिए मैंने ये कदम ली
मुझे दगाबाज ना समझना
मैं हालात से हूँ मजबूर ।
ओ मेरे दिल के हूजूर……..

वादा किया था जो तुमसे
चांद तारे तोड़ लाऊंगा ।
दुनिया भर की खुशी को
तेरे कदमों में बिछाऊंगा ।
तू भूल गई है शायद सब
पर मैं ना अब तक भूला हूं ….
मुझे दगाबाज ना समझना
मैं हालात से हूँ मजबूर ।
ओ मेरे दिल के हूजूर……..

है तू घर की आबरू,
मेरे हृदय की रानी है ।
तेरे सपने हैं अधूरे से ,
कुछ चाहत भी पुरानी है ।
छोड़ो आया हूं मैं ,
कलेजे के टुकड़ों को ।
मेरे हिस्से के भी प्यार दे देना तू
मुझे दगाबाज ना समझना
मैं हालात से हूँ मजबूर ।
ओ मेरे दिल के हूजूर……..

जानूं मेरे बिन तुझे तकलीफ होती है ।
पर सबकी नसीब कहां एक सी होती है ?
मैं मेरी जिंदगी छोड़ आया तेरे पास
जल्दी से आऊंगा, कर ले विश्वास ।
आस जगाए रखना दिल में ,
नैन बिछाए रखना है मेरी ये आरजू…..
मुझे दगाबाज ना समझना
मैं हालात से हूँ मजबूर ।
ओ मेरे दिल के हूजूर……..

 मनीभाई ‘नवरत्न’, छत्तीसगढ़

ऐ मेरे दिल! आके मेरे बाहों में खिल

ऐ मेरे दिल! आके मेरे बाहों में खिल ।
नहीं तो हो जाएगी बड़ी मुश्किल ।

प्यार करूं मैं तुझे, दिल देना तू मुझे ।
बिन तेरे जानेमन कुछ ना सूझे ।
प्यार में हम दोनों हो जाए हिलमिल ।। 1

तेरी मीठी मीठी बातें मुझ को भा गई।
तेरी गोरी गोरी बाहें मुझ पर छा गई ।।
ले चलूँ तुम्हें वहां, जहां हो सितारों की झिलमिल ।। 2

तेरे बिना, क्या मरना क्या जीना?
मेरे बाहें थामकर झूमले हसीना।
तेरी यह अदाएं लगे मुझे कातिल ।। 3

ऐ मेरे दिल …..

मनीभाई नवरत्न

फिगर का दोष है मेरे नजर का नहीं

फिगर का दोष है, मेरे नजर का नहीं .
तू सोचे मुझे जहां का ,मैं वहां का नहीं.
हाय रे नखरा, उमर सतरा,लागे खतरा ।
चले पैंतरा, इस दिल पे, अब जरा जरा ।

मैग्नेट सा बदन ,खींचे मुझे,खिंचा चला जाऊं ।
चंचल ये चितवन, रोकना चाहूं, रोक ना पाऊं ।
बेसुर ताल है , बुरा हाल है ,अब तो मेरा .
चले पैंतरा , इस दिल पे , अब जरा जरा.

कनेक्टिविटी दे हॉटस्पॉट से इंकार न कर
वाईफाई ऑन पासवर्ड सेव डाटा ऑफ न कर
लाइफ सेल्फोन है जिसमे रिंगटोन है तू ही मेरा
चले पैंतरा , इस दिल पे , अब जरा जरा.

  • मनीभाई नवरत्न

आज तक पीछे थे तेरे अब हाथों में मेरे किताब होगी

अच्छा हुआ, ठुकरा दिया, नींदें ना मेरी खराब होगी।

आज तक पीछे थे तेरे, अब हाथों में मेरे किताब होगी।।

पहले होता था तेरे लिए बेचैन, तरसती रहती थी देखने को नैन।
बन गया था पागल दीवाना, तेरे ही आस पास था मेरा ठिकाना।

अच्छा हुआ, बतला दिया, अब ना तेरे लिए ख्वाब होगी ।

आज तक पीछे थे तेरे, अब हाथों में मेरे किताब होगी।।
माना कि तू खूबसूरत बेमिसाल,पर दिल के मामले में है बुरा हाल।
मेरा तुमसे है आज ये सवाल , खुद के बारे में तुम्हारा क्या ख्याल?
आजकल मद मस्त हो गए हो, तुमने भी पी शराब होगी ।

आज तक पीछे थे तेरे, अब हाथों में मेरे किताब होगी।।

हम ना चाहे थे तुमसे बैर , पर जी लेंगे अब तेरे बगैर ।

कभी तो जिन्दगी होगी हरी, कभी तो जायेगी अंधेर ।।

तुम्हें छोड़कर अब किसी और के लिए गुलाब होगी।

आज तक पीछे थे तेरे, अब हाथों में मेरे किताब होगी।।

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