माघ शुक्ल शीतला छठि पर कविता
माघ शुक्ल की छठि तिथी ,
से ठंडी का अन्त ।
इसे शीतला छठि कहें ,
जानकार सब सन्त।।
इस छठि का व्रत लाभप्रद,
नारी को है खास।
दैहिक-दैविक ताप से,
मुक्ती बिना प्रयास।।
मातु शीतला की कृपा,
संतति करे प्रदान।
देता है सौभाग्य भी,
पुष्ट करे मन-प्रान।।
इस व्रत मे चूल्हा सदा,
जलने मे प्रतिबन्ध।
बासी भोजन भोग मे
करने का अनुबन्ध।।
रोग विकारों का शमन,
होता है तत्काल।
इस व्रत से माँ शीतला,
कर देतीं खुश हाल।।
जल्दी उठ स्नान कर,
चौकी पर रख मूर्ति।
पत्र-पुष्प, नैवेद्य से,
पूजा हो स्वस्फूर्ति।।
हलवा पूड़ी गुल गुले,
लें पंचमी बनाय।
कुछ मीठा हो दूध का,
दीजै भोग लगाय।।
पानी-चाय गरम सब,
व्रत में दीजों त्याग ।
ठंडे सभी पदार्थ से,
पूजें सह अनुराग।।
एन्०पी०विश्वकर्मा , रायपुर 🙏