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डिजेन्द्र कुर्रे के सर्वश्रेष्ठ 5 माहिया छंद

यहाँ पर डिजेन्द्र कुर्रे के सर्वश्रेष्ठ 5 माहिया छंद प्रस्तुत हैं

छंद
छंद

माहिया छंद -भारत की माटी

पूजा की आरत हैं,
समता है जिसमें….
यह मेरा भारत है

हो स्वर्ग हिमालय सा,
हृदय रहे अपना…
कैलाश शिवालय सा

पावन परिपाटी हैं
चंदन के जैसा
भारत की माटी है

प्यासे समशिरो को
चाह चलाने की
भारत के वीरों को

रक्षक जो सीमा के
वह भी बेटे है
अपनी भारत माँ के

वह कर्म महान किया
भारत के पग में
अपना बलिदान किया

मैं शीश झुकाता हूँ
गाथा वीरों की
श्रद्धा से गाता हूँ
★★★★★★★★
डिजेन्द्र कुर्रे”कोहिनूर”

माहिया छंद – राम

महलों के वासी थे
वचन निभाने को
वरसो वनवासी थे

इस जग को तारे है
प्रेम के वश में जो
भक्तों से हारे है

जग में कल्याणी है
बेड़ापार करे
तुलसी की वाणी है

अपना उद्धार किया
केवट ने प्रभु को
गंगा से पार किया

जिसको नित त्राण दिया
रघुवर के कारण दशरथ ने प्राण दिया

डिजेन्द्र कुर्रे”कोहिनूर”

राम सीता पर माहिया

जिस धर्म परायण में
राम बसे घट घट
पावन रामायण में

जो परम पुनिता है
मिथिला की बेटी
जननी माँ सीता है

प्रभु पर दिल हारी थी
लाड सुनयना की
मिथलेश कुमारी थी

कंगन की छाया में
सीता राम मिले
मिथिला की माया में

जयकारा अम्बर में
राम धनुष तोड़े
मिथलेश स्वम्बर में

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डिजेन्द्र कुर्रे”कोहिनूर”

माहिया छंद-राधा कृष्ण

जीवन से तृष्णा की
हल मिल जाता है
बंशी में कृष्णा की

राधा के जीवन में
श्याम बसे हर पल
मीरा के तन मन में

राधा तो घायल थी
हरि की चाहत में
मीरा भी पागल थी

खुद से अनजानी थी
राधा कान्हा के
इक प्रेम दिवानी थी

हर रोज सताती थी
राधा कान्हा पर
अधिकार जताती थी
★★★★★★★★
डिजेन्द्र कुर्रे”कोहिनूर”

माहिया छंद – बेटी

( 1)
गोदी में लेटी हैं,
मैं खुश किस्मत हूँ
मेरी भी बेटी हैं।

(2)
प्राणों से प्यारी हैं,
मेरे भी घर में
इक राज दुलारी हैं।

(3)

बागों की क्यारी हैं,
महके फूल चमन
बेटी जो प्यारी हैं।

(4)
बेटी जो रानी हैं,
जिज्ञासा घर की
बड़ी ये सयानी हैं।


डिजेन्द्र कुर्रे”कोहिनूर”
छत्तीसगढ़(भारत)

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