मैं इंसान हूं मेरे भी अरमान है- मनीभाई नवरत्न

मैं इंसान हूं मेरे भी अरमान है- मनीभाई नवरत्न

कविता संग्रह
कविता संग्रह

मैं इंसान हूं मेरे भी अरमान है ।
जैसे तेरी पहचान वैसे मेरी पहचान है।

जो तू सोचता है वह मेरी सोच है ।
जो तू खोजता है वह मेरी खोज है।
इस बात पर भला क्यों अनजान है ?

मैं इंसान हूं….
जब मैं राहों से गुजरता हूं तु मुझे राह दे ।
मैं तुझको चाहता हूं तू मन से चाह दे ।।
इक सी जिंदगी अपनी ,इक ही शान है।।

मैं इंसान हूं….
मुझको साथी की जरूरत है जो तुम सा हो ।
तब जीवन खूबसूरत है,जब कोई तुम सा हो ।
मेरा नाता तुमसे आकाश का, यह मेरी उड़ान है।
मैं इंसान हूं….

-मनीभाई नवरत्न

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