मैं इंसान हूं मेरे भी अरमान है- मनीभाई नवरत्न
![कविता संग्रह](https://kavitabahar.com/wp-content/uploads/2022/12/kavita-bahar-hindi-kavita-sangrah2434637591686957824..jpg)
मैं इंसान हूं मेरे भी अरमान है ।
जैसे तेरी पहचान वैसे मेरी पहचान है।
जो तू सोचता है वह मेरी सोच है ।
जो तू खोजता है वह मेरी खोज है।
इस बात पर भला क्यों अनजान है ?
मैं इंसान हूं….
जब मैं राहों से गुजरता हूं तु मुझे राह दे ।
मैं तुझको चाहता हूं तू मन से चाह दे ।।
इक सी जिंदगी अपनी ,इक ही शान है।।
मैं इंसान हूं….
मुझको साथी की जरूरत है जो तुम सा हो ।
तब जीवन खूबसूरत है,जब कोई तुम सा हो ।
मेरा नाता तुमसे आकाश का, यह मेरी उड़ान है।
मैं इंसान हूं….
-मनीभाई नवरत्न