मैं इंसान हूं मेरे भी अरमान है- मनीभाई नवरत्न

मैं इंसान हूं मेरे भी अरमान है- मनीभाई नवरत्न

कविता संग्रह
कविता संग्रह

मैं इंसान हूं मेरे भी अरमान है ।
जैसे तेरी पहचान वैसे मेरी पहचान है।

जो तू सोचता है वह मेरी सोच है ।
जो तू खोजता है वह मेरी खोज है।
इस बात पर भला क्यों अनजान है ?

मैं इंसान हूं….
जब मैं राहों से गुजरता हूं तु मुझे राह दे ।
मैं तुझको चाहता हूं तू मन से चाह दे ।।
इक सी जिंदगी अपनी ,इक ही शान है।।

मैं इंसान हूं….
मुझको साथी की जरूरत है जो तुम सा हो ।
तब जीवन खूबसूरत है,जब कोई तुम सा हो ।
मेरा नाता तुमसे आकाश का, यह मेरी उड़ान है।
मैं इंसान हूं….

-मनीभाई नवरत्न

मनीभाई नवरत्न

यह काव्य रचना छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के बसना ब्लाक क्षेत्र के मनीभाई नवरत्न द्वारा रचित है। अभी आप कई ब्लॉग पर लेखन कर रहे हैं। आप कविता बहार के संस्थापक और संचालक भी है । अभी आप कविता बहार पब्लिकेशन में संपादन और पृष्ठीय साजसज्जा का दायित्व भी निभा रहे हैं । हाइकु मञ्जूषा, हाइकु की सुगंध ,छत्तीसगढ़ सम्पूर्ण दर्शन , चारू चिन्मय चोका आदि पुस्तकों में रचना प्रकाशित हो चुकी हैं।

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