मरने वाले की याद में कविता
ओढ़ना बिना जेखर जिंनगी गुजरगे,
मरनी म ओखर कपड़ा चढ़ाबो।
माँग के खवईया ओ भूख म मरगे,
जम्मों झी गाँव के तेरही ल खाबो।
जियत म देख ले आँखी पिरावै,
पुतरी म ओखर माला चढ़ाबो।
जिंनगी जेखर हलाकानी म बीते हे,
मरे म मिनट भर शान्ति हम देबो।
जेखर सहारा बर कोनो नई आईन,
तेखर सिधारे म सब झन जुरियाबो।
साधन बर जियत ले जेनहा तरसगे,
परलोक बर ओखर सरि जिनिस चढ़ाबो।
हलुआ कहाँ पाबे फरा नई खाए,
सुरता ओखर करके बरा ल खाबो।
करें हन जेखर जियत भर बुराई ,
खोज खोज के ओखर गुन ल गोठियाबो।
अनिल कुमार वर्मा
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