मेरे सांसों ने तेरे कानों में

मेरे सांसों ने तेरे कानों में

मेरे सांसों ने तेरे कानों में
अपने दिल का पैगाम दिया ।
गुजरी तुझ पर क्या जानेमन ?
क्या इसका अंजाम हुआ?

धोखा में ना रखना ,सनम तू मुझको ।
बरसों से चाहत है चाहे तू मेरे दिल को ।
खफा होने की बात क्या है ?
ख्वाब तेरे हो तो जुदाई रात क्या है?
यादों में तेरे रात दिन हुआ,
दिन से फिर शाम हुआ।।

तारीफे ना करूं तो तुझ पर साजिश होगी ।
चाहता रहूं बस तुझको मेरी ख्वाहिश होगी ।
सांसो की सांसो से , सांसों में ऐतबार ।
नजरों की नजरों से , नजरों में इंतजार।
दिन की मोती शाम की ज्योति को मैंने जान लिया।।

– Lyrics by Manibhai

मनीभाई नवरत्न

यह काव्य रचना छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के बसना ब्लाक क्षेत्र के मनीभाई नवरत्न द्वारा रचित है। अभी आप कई ब्लॉग पर लेखन कर रहे हैं। आप कविता बहार के संस्थापक और संचालक भी है । अभी आप कविता बहार पब्लिकेशन में संपादन और पृष्ठीय साजसज्जा का दायित्व भी निभा रहे हैं । हाइकु मञ्जूषा, हाइकु की सुगंध ,छत्तीसगढ़ सम्पूर्ण दर्शन , चारू चिन्मय चोका आदि पुस्तकों में रचना प्रकाशित हो चुकी हैं।

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