महागौरी पर कविता : हिन्दुओं के शक्ति साम्प्रदाय में भगवती दुर्गा को ही दुनिया की पराशक्ति और सर्वोच्च देवता माना जाता है (शाक्त साम्प्रदाय ईश्वर को देवी के रूप में मानता है)। वेदों में तो दुर्गा का व्यापाक उल्लेख है, किन्तु उपनिषद में देवी “उमा हैमवती” (उमा, हिमालय की पुत्री) का वर्णन है। माँ दुर्गा पर कविता बहार की एक कुंडलियाँ – महागौरी
महागौरी पर कविता (कुंडलियाँ)

महागौरी शुभंकरा , देवी अष्टम रूप।
सौम्य कांत स्वरूप है , माँ कीशक्तिअनूप।।
माँ की शक्ति अनूप , हे मात विघ्नहारिणी।
चतुर्भुज शान्त रूप , माँ श्वेतवस्त्रधारिणी।।
कहता कवि करजोरि,दीर्घ होजीवन डोरी।
रहे शांति सद्भाव , हे अम्बा महागौरी।।
माता गौरी हे शिवा ,करे सदा उपकार।
माँ ऋद्धिसिद्धिदायिनी , करो कष्ट से पार।।
करो कष्ट से पार , माँ हर रूप में साजे।
एक हाथ त्रिशूल , दूसरे डमरू बाजे।।
कहत नवल करजोरि,अम्ब हैभाग्यविधाता।
रखती सबका ध्यान , शिवा हे गौरी माता।।
© डॉ एन के सेठी