मन में राम नाम नित जापे/ कवयित्री अर्चना पाठक

राम/श्रीराम/श्रीरामचन्द्ररामायण के अनुसार,रानी कौशल्या के सबसे बड़े पुत्र, सीता के पति व लक्ष्मणभरत तथा शत्रुघ्न के भ्राता थे। हनुमान उनके परम भक्त है। लंका के राजा रावण का वध उन्होंने ही किया था। उनकी प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है क्योंकि उन्होंने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता-पिता तक का त्याग किया।

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मन में राम नाम नित जापे/ कवयित्री अर्चना पाठक


अवध पुरी आए सिय रामा।
ढोल बजे नाचे सब ग्रामा।।

घर-घर खुशहाली हर द्वारे।
शिलान्यास मंदिर का प्यारे।।

राम राज चहुँ दिशि है व्यापे।
लोक लाज संयत सब ताके ।।

राजधर्म सिय वन प्रस्थाना ।
सत्य ज्ञान किंतु नहीं माना।।

है अंतस सदा बसी सीता।
रहे एकांत उर बिन मीता।।

सुख त्याग सर्व कर्म निभावें।
प्रजा सुखी निज दुख बिसरावें।।

नरकासुर मारे बनवारी।
राम तो है विष्णु अवतारी।।

खील बताशे अरू आरती।
सबके मन खुशियाँ भर आती।।

सज रही देख दीप मालिका।
खुश हैं बालक सभी बालिका।।

उर आनंदित चहुँ दिशि छाये।
हरे तिमिर जगमग छवि पाये।।

मन में राम नाम नित जापे।
नम्र निवेदित खोते आपे।।

अयोध्या में कुंभ है भारी।
मन से जन का बढ़ना जारी।।


अर्चना पाठक
अम्बिकापुर ,सरगुजा
छत्तीसगढ़

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