मोहिनी-कुंडलियाँ

सूरत है मन मोहिनी, राधा माधव साथ।
हुए निरख सब बावरे, ले हाथों में हाथ।।
ले हाथों में हाथ, छवि लगती अति न्यारी।
मुरलि बजाए श्याम,लगे सबकोये प्यारी।।
कहता कवि करजोरि,है मनमोहिनी मूरत।
सब पाएं सुख चैन, देखके उनकी सूरत।।
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राधा गोरी है अधिक, साँवले घनश्याम।
लगती दोनों की छवी,अनुपमअरुअभिराम।।
अनुपम अरु अभिराम, रूप सुंदर है भाया।
प्रेमभावअलौकिक,दुनिया को ही सिखाया।।
कहत नवल करजोरि, भक्तिपथ हो निर्बाधा।
मन में निश्छल प्रेम, बसे तब मोहन राधा।।

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©डॉ एन के सेठी

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