नारी पर आधारित कविता
नारी जगत का सार
नारी सृष्टि काआधार
जननी वो कहलाती
मान उसे दीजिये।।
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नारी ईश्वर का रूप
उसकी शक्ति अनूप
देती है सबको प्यार
उसे खुश कीजिये।।
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नारी हृदय विशाल
रखती है खुशहाल
ममता का आगार है
दुख मत दीजिए।।
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सृष्टा की अद्भुत सृष्टि
करती वात्सल्य वृष्टि
नारी के रूप अनेक
हर रूप पूजिये।।
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नारी में है मानवता
त्याग और पावनता
शक्ति का स्वरूप नारी
विश्वास भी कीजिये।।
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नारी है ईश वंदन
नारी माथे का चंदन
नारी नही है अबला
सहयोग कीजिये।।
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नारी है जग की आशा
शब्द नही पूरी भाषा
रंगों की है फुलवारी
देवी सम पूजिये।।
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माँ बहन बेटी नारी
पत्नी है पति की प्यारी
नारी से बड़ा न कोई
वंदन भी कीजिये।।
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©डॉ एन के सेठी
बाँदीकुई(दौसा)
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद