केवरा यदु मीरा की कविता

केवरा यदु मीरा की कविता

कृष्ण के भजन

सुन कान्हा मेरी याद
तुमको आती तो होगी।
ओ पूनम की रात तुम्हें
रुलाती तो होगी ।
सुन कान्हा—–

तान छेड़ बंशी की
तुम मुझे बुलाये थे।
बाहों में बाँहे डाले
तुम रास रचाये थे।
वो पायल की रुन झुन
तुम्हें बुलाती तो होगी ।
सुन कान्हा मेरी याद
तुमको आती तो होगी ।।

बैठ कदंब के छाँव
तुम बंशी बजाते थे।
राधे राधे की धुन में
तुम मुझे बुलाते थे ।
राधा राधा नाम तुम्हें
याद तड़पाती तो होगी।
सुन कान्हा मेरी याद
तुमको आती तो होगी ।।

वो तिरछी नजर का जादू
तुम ड़ाल गये मोहन।
तन से दिल अरु जान
निकाल गये मोहन ।
मेरे दिन की धड़कन
तुम्हें सुनाती तो होगी ।
सुन कान्हा मेरी याद
तुम को आती तो होगी ।

तुम कह के गये कान्हा
मैं लौट के आऊँगा।
आकर मुरली की
मधुर तान सुनाऊँगा।
वो वादे वो कसमें
याद दिलाती तो होगी ।
सुन कान्हा मेरी याद
तुमको आती तो होगी ।।

मैं हुई बावरी श्याम
इक बार चले आओ।
भले चले जाना बस
झलक दिखा जाओ।
तुम भूल गये वो प्रीत
तुम्हें रिझाती तो होगी ।
सुन कान्हा मेरी याद
तुमको आती तो होगी ।
ओ पूनम की रात
तुम्हें रुलाती तो होगी ।।
सुन कान्हा मेरी—-

केवरा यदु “मीरा “
राजिम

ओ मेरे मन मीत

ओ मेरे मन मीत प्रीत तुम याद बहुत ही आते हो ।
आने को कह गये आ जाओ क्यों रुलाते हो ।

जब  से दूर  गये हो मुझसे जीवन में उल्लास नहीं ।
सपने सारे बिखर गये जिन्दगी में सुवास नहीं ।
अब लगता है ह्रदय के टुकड़े होकर बिखर गये ।
बीती यादें ही बाकी है सपने तितर  बितर गये।
आँखों में  तुम ही तुम हो निंदिया मेरी उड़ाते हो।।

आने को कह गये-

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तुम सरहद पर जा रहे थे आँख मेरी भर आई।
मुझसे पहले फर्ज वतन का मैं कुछ न कह पाई।
मैं ठगी सी  देख रही थी हाय ये कैसी जुदाई ।
वो गुनगुनाना मुस्कुराना याद बहुत तुम आते हो ।।

आने को कह गये–

जा रहा हूँ  प्रिय  अब होली   में ही आऊँगा ।
ये लो ये अँगूठी  रख लो उसी समय पहनाऊँगा ।
कभी उदास न होना तुम  घोड़ी में चढ़ कर आऊँगा।
सैनिक की बनोगी संगिनी ड़ोली में  बिठा ले जाऊँगा।
राह देखती  बैठी हूँ तुम क्यों न अभी तक आते हो ।।

आने को कह गये–

आये प्रिय तुम होली में तिरंगे में  लिपट कर आये हो ।
मुझ पर क्या बीती मैं क्या कहूँ अँगूठी जो पकड़ाये हो।
मेंहदी न रचेगी हाथों में न ही ड़ोली सजाऊँगी।
सौ जन्मों तक इंतजार करूँगी तुम्ही से माँग भराऊँगी ।।
क्यों न लौट कर आये प्रिय नैनों में तुम्ही समाये हो।।

आने को कह गये आ जाओ क्यों रुलाते हो ।

केवरा यदु “मीरा “

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