8 सितंबर साक्षरता दिवस पर कविता

8 सितंबर saksharta divas par kavita

आह्वान

आचार्य मायाराम ‘पतंग

एक बार पढ़ने तो आओ ।

हर सपना साकार बनेगा ||

यह मत समझो, बड़ी उम्र में

पढ़ पाना ज्यादा भारी है।

सच तो यह है, उम्र तुम्हारी

समझाने में सहकारी है ॥

एक बार आगे तो आओ।

पथ तो अपने आप बनेगा ।

एक बार…

यह मत समझो पढ़ना-लिखना,

ठेका है बस धनवालों का ।

अच्छी तरह पहनना-खाना,

हक है धरती के लालों का ।।

एक बार लेने तो आओ।

हक भी तुम्हें जरूर मिलेगा।

एक बार..

तुम्हें नहीं मालूम, तुम्हारी

कैसे होगी, सही भलाई ?

उल्टा ही उपचार किया है,

बीमारी तो आप बढ़ाई है ।

एक बार केंद्रों में आओ।

भले-बुरे का पता चलेगा।

एक बार…

पढ़ने का मतलब क्या तुमने

सिर्फ नौकरी को ही जाना ।

कला-शिल्प-मजदूरी में भी,

शिक्षा फल देती है नाना ॥

एक बार मन में तो धारो ।

उन्नति का हर द्वार खुलेगा ।

एक बार….

आओ हम पढ़ें-लिखें

आचार्य मायाराम ‘पतंग’

आओ हम पढ़ें-लिखें, देश को सुधार लें

डूबती-सी नैया को, मिल के हम उबार लें।

भार को बढ़ा रहीं, अनपढ़ों की टोलियाँ ।

छिन्न-भिन्न कर रहीं, भिन्न-भिन्न बोलियाँ ।

बोलियों की टोलियाँ, टोलियों की बोलियाँ ॥

राव रंक बन रहे, टाँग टाँग झोलियाँ ॥

झोलियों से नफरतों की बर्फ को बुहार दें।

प्यार की सुगंध से सनी बयार डार लें।

आओ हम पढ़ें-लिखें, देश को सुधार लें।

भान कब हुआ हमें, मान- चीर घट रहा।

पीर कब हुई शरीर, अंग-अंग कट रहा।

देश में विदेश का, चरित्र यूँ सिमट रहा।

बात-बात पर समाज टूक-टूक बँट रहा ।

टूटते समाज के स्वरूप को सँवार लें।

छूआछूत छोड़, मन के मैल को पखार लें।

आओ हम पढ़ें-लिखें, देश को सुधार लें।

देश के अतीत स्वाभिमान के लिए पढ़ें ।

शब्द- अंक ज्ञान वर्तमान के लिए पढ़ें।

कर्म-धर्म ग्रंथ हम भविष्य के लिए पढ़ें।

नित पढ़ें, सतत बढ़ें, विषम पहाड़ पर चढ़ें ॥

मुश्किलों की भीड़ में से, रास्ता निकाल लें।

जंगलों को मंगलों के रूप में सँभाल लें ।

आओ हम पढ़ें-लिखें, देश को सुधार लें।

आज हम पढ़ें स्वदेश की समृद्धि के लिए।

वस्त्र की, अनाज की विशेष वृद्धि के लिए।

हम पढ़ें कुरीतियों के सर्वनाश के लिए ।

हम सभी पढ़ें, समाज के विकास के लिए।

यह दिशा विकास की, हम सिकेरते चलें ।

रश्मियाँ प्रकाश की, हम बिखेरते चलें ।

आओ हम पढ़ें-लिखें, देश को सुधार लें।

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