राम/श्रीराम/श्रीरामचन्द्र, रामायण के अनुसार,रानी कौशल्या के सबसे बड़े पुत्र, सीता के पति व लक्ष्मण, भरत तथा शत्रुघ्न के भ्राता थे। हनुमान उनके परम भक्त है। लंका के राजा रावण का वध उन्होंने ही किया था। उनकी प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है क्योंकि उन्होंने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता-पिता तक का त्याग किया।
राम नाम जपले रे मनवा गीत
राम नाम जपले रे मनवा,निश दिन सांझ सबेरे।
पल में सारे कट जायेंगे,जीवन के दुख तेरे।
राम नाम जपती थी शबरी,मन में आस लगाये।
फूल बिछाती रही राह में,राम प्रभू जी आये।
उसके सिवा न कोई समझो, मानव जग में तेरे ।
पल में सारे कट जायेंगे, जीवन के दुख तेरे।।
द्रुपत सुता जब सभा बीच में,बेबस आन पड़ी थी।
टेर लगाई आजा मोहन,कैसी विपद धड़ी थी।
गिरधर नंगे पाँव पधारे,बनकर साड़ी घेरे।
पल में सारे कट जायेंगे, जीवन के दुख तेरे।।
निर्मल मन हो तो मनमोहन, साग विदुर घर खाते।
दुर्योधन के मेवा त्यागे,माखन भले चुराते।
सच्चे मन से टेर लगाले,करते दूर अँघेरे।।
पल में सारे कट जायेंगे,जीवन के दुख तेरे।।
केवरा यदु “मीरा “