रसीले आम पर कविता – सन्त राम सलाम

🥭रसीले आम पर कविता🥭

रसीले आम पर कविता - सन्त राम सलाम

रसीले आम का खट्टा मीठा स्वाद,
बिना खाए हुए भी मुंह ललचाता है।
गरमी के मौसम में अनेकों फल,
फिर भी आम मन को लुभाता है।।

वृक्ष राज बरगद हुआ शर्मिंदा,
पतझड़ में सारे पत्ते झड़ जाते हैं।
आम की ड़ाल पर बैठ के कोयल,
फुदक – फुदक के तान सुनाते हैं।।

बसन्त ऋतु में बौराते है आम,
ग्रीष्म ऋतु में सुन्दर फल देता है।
चार-तेंदू और महुआ फल का भी,
यही रसीले आम ही राज नेता हैं।।

सदाबहार वृक्ष धरती पर शोभित,
सदैव प्राकृतिक सुंदरता बढ़ाता है।
औषधीय गुणों से भरपूर आमरस,
गर्मी और लू के थपेड़ो से बचाता है।।

कच्चे फलों को आचार बनाकर,
या आमचूर पाउडर घर में रखते हैं।
रसीले आम मिले तो बड़ा मजेदार,
बिना पकाए भी वृक्षों पर पकते हैं।।

सन्त राम सलाम
जिला- बालोद, छत्तीसगढ़।

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