सीमा पर है जो खड़ा
सीमा पर है जो खड़ा ,
अपना सीना तान ।
उसके ही परित्याग से ,
रक्षित हिंदुस्तान ।।
रक्षित हिंदुस्तान ,
याद कर सब कुरबानी ।
करे शीश का दान ,
हिंद का अद्भुत दानी ।।
कह ननकी कवि तुच्छ ,
कहें सब अर्जुन भीमा ।
पराक्रमी शूर शौर्य ,
नहीं जिसकी बल सीमा ।।
रामनाथ साहू ” ननकी “
मुरलीडीह , जैजैपुर ( छ.ग. )
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद
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