प्रस्तुत कविता शिव की सात शक्ति भगवान शिव पर आधारित है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है।
शिव की सात शक्ति
शिव की सातों शक्तियों,
की साधना पुनीत।
जब ये अनुकूलित रहे,
साधक रिपु लें जीत।।
सात मातृका हैं शिवा,
इनका तीव्र प्रभाव।
साधक पर पड़ता सदा,
जाता बदल स्वभाव।।
श्रीब्रह्माणी, वैष्णवी,
माहेश्वरी तीन।
इंद्राणी -कुमारीका च,
वाराहीश्च पुनीत।।
चामुण्डा है अति प्रबल,
शिव की शक्ति अखण्ड।
खुश हो तो सुख दें सदा,
नाखुश हो तो दण्ड ।।
पृथक -पृथक है साधना,
तथा पृथक आयाम।
जब जैसी हो परिस्थिति,
करती वैसे काम।।
मार्कण्डेय पुराण में,
वाराही के नाम।।
रक्तबीज संहार का ,
लिखा हुआ है काम।।
वाराही की साधना ,
दक्षिण के तत्काल।
विपदायें है रोकती,
रुक जाता है काल।।
संकट -शत्रु निवारती,
हरि अंशी यह शक्ति ।
श्रद्धा से हो साधना,
मिलती हरि की भक्ति ।।
एन्०पी०विश्वकर्मा, रायपुर
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