प्रस्तुत कविता शिव स्तुति भगवान शिव पर आधारित है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है।
शिव स्तुति- रमेश शर्मा
महेश नीलकंठ भूतनाथ आज रीझिए ।
त्रिनेत्र चंद्रमौलि विश्व भार धार लीजिए ।
नमामि वामदेव रोग दोष दूर कीजिए।
कहीं न चूक हो हमें पनाह आप दीजिए।।
उमेश हो कृपालु नाव पार तो लगाइये।
गिरीश आशुतोष नाथ हार ना दिलाइये।।
अनंत सोमनाथ व्याधि भूमि की भगाइये।
दयालु विश्वनाथ वंदना न ये भुलाइये।।
यजंत वीरभद्र व्योमकेश स्वर्ग द्वार हो।
त्रिलोकनाथ भीम शर्व बैल पे सवार हो।।
भुजंग रुण्ड मुण्ड माल भाल गंगधार हो।
अनूप रूप रुद्र मर्ग आप की न हार हो।।
अकंप अंबरीश कालकंठ अंधकार को।
विधेश वैद्यनाथ मेट चित्त के विकार को।।
पिनाकपाणि दो उतार भूमि पाप भार को।
करो अनेक कष्ट नष्ट आज सोमवार को।।
अरिष्टनेमि अष्टमूर्ति आप ही सँवारिये।
कपालपाणि भालचंद्र वेदना उतारिये।।
शशांक मंगलेश हर्ष देत ना बिचारिये।
कहे ‘रमेश’ आप को अघोर नाम धारिये।।
– रमेश शर्मा
खण्डार, सवाई माधोपुर, राज.
छंद-पंचचामर
(मापनी:ISI SIS ISI SIS ISI S)
शिल्प विधान – ज र ज र ज गु
Leave a Reply