श्रमिक पर कविता

श्रमिक पर कविता

खून पसीना एक कर,करता जग कल्याण।
औरों के हित के लिए, देता अपने प्राण।।
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स्वेद बहे मजदूर का, तभी बने आवास।
जीवन में पाता वही, श्रम से करे प्रयास।।
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श्रम जीवन में जो करे, होता बड़ा महान।
इसके बल पर ही वही, पाता जग में मान।।
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कठिन परिश्रम से मनुज,पत्थरभी पिघलाय।
करे परिश्रम जो यहाँ, वही सफलता पाय।।
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करे परिश्रम जोश्रमिक,नित्य दिवसअरु रात।
अपना सुख दुख भूलकर,करे सुखी हर गात।।

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©डॉ एन के सेठी

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