शुभ्र शरद पूर्णिमा – बाबूलाल शर्मा

शुभ्र शरद पूर्णिमा – बाबूलाल शर्मा

शुभ्र शरद शुभ पूर्णिमा, लिए शीत संकेत।
कर सोलह शृंगार दे, चंद्र प्रभा घर खेत।।

दक्षिण पथ रवि रथ चले, शरद पूर्णिमा देख।
कृषक फसल के बीज ले, हल से लिखे सुलेख।

श्वाँस कास उपचार हित, खीर चाँदनी युक्त।
उत्तम औषधि वैद्य दे, करे रोग से मुक्त।।

सुधा बरसता चन्द्र से, कहते मनुज प्रबुद्ध।
शरद पूर्णिमा रात में, वैद्य करे रस सिद्ध।।

देख शरद की ज्योत्स्ना, बढ़ जाता उत्साह।
प्रीति रीति संयोग से, मिटता नर हिय दाह।।

शर्मा बाबू लाल नित, बनकर काव्य चकोर।
तके लिखे भव छंद नव, चन्दा बना अकोर।।

बाबू लाल शर्मा, बौहरा, विज्ञ
निवासी – सिकंदरा, दौसा
राजस्थान ३०३३२६

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

Leave a Reply