ताँका कैसे लिखें

ताँका जापानी काव्य की कई सौ साल पुरानी काव्य विधा है। इस विधा को नौवीं शताब्दी से बारहवीं शताब्दी के दौरान काफी प्रसिद्धि मिली। उस समय इसके विषय धार्मिक या दरबारी हुआ करते थे। हाइकु का उद्भव इसी से हुआ।

ताँका कैसे लिखें

literature in hindi
literature in hindi

“ताँका” जापान का बहुत ही प्राचीन काव्य रूप है । यह क्रमशः 05,07,05,07,07 वर्ण क्रम में रची गयी पंचपदी रचना है, जिसमें कुल 31 वर्ण होते हैं । व्यतिक्रम स्वीकार नहीं है । “हाइकु” विधा के परिवार की इस “ताँका” रचना को “वाका” भी कहा जाता है । “ताँका” का शाब्दिक अर्थ “लघुगीत” माना गया है । “ताँका” शैली से ही 05,07,05 वर्णक्रम के “हाइकु” स्वरूप का विन्यास स्वतंत्र अस्तित्व प्राप्त किया  है ।

वर्ष 2000 में रचित मेरी एक ताँका रचना उदाहरण स्वरूप देखें –

मन मंदिर  (05 वर्ण)
बजा रही घण्टियाँ  (07 वर्ण)
प्रातः पवन  (05 वर्ण)
पूर्वी नभ के भाल   (07 वर्ण)
लगा रवि तिलक ।  (07 वर्ण)

प्रदीप कुमार दाश “दीपक”

वास्तविकता यह कि “ताँका” अतुकांत वर्णिक छंद है । लय इसमें अनिवार्य नहीं, परंतु यदि हो तो छान्दसिक सौंदर्य बढ़ जाता है । एक महत्वपूर्ण भाव पर आश्रित “ताँका” की प्रत्येक पंक्तियाँ स्वतंत्र होती हैं । शैल्पिक वैशिष्ट्य के दायरे में ही रचनाकार के द्वारा रचित कथ्य की सहजता, अभिव्यक्ति क्षमता व काव्यात्मकता से परिपूर्ण रचना श्रेष्ठ “ताँका” कहलाती है ।

प्रदीप कुमार दाश “दीपक “

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *