widow

विधवा पर कविता

मैंने अपनी स्वरचित कविता "विधवाएं" कुछ समय पहले ही लिखी है ,और इसे लिखने के लिए प्रेरणा भी मुझे यथार्थ ही मिली। कि हम चाहे कितनी ही तरक्की क्यूं न कर ले मगर हमारी सोच औरतों को लेकर अब भी संकीर्ण ही है।

विधवा पर कविता

विधवा पर कविता सफेद साड़ी में लिपटी विधवाआँसुओं के चादर में सिमटी विधवामनहूस कैसे हो सकती है भला अपने बच्चों को वह विधवारोज सबेरे जगाती हैउज्जवल भविष्य कीf करे कामनाप्रतिपल…