नंदावत हे बिसरावत हे
प्रस्तुत कविता नंदावत हे बिसरावत हे अनिल जांगड़े द्वारा रचित है जिसमें बताया गया है कि किस प्रकार से वक्त के साथ बहुत सारी चीजें अनुपयोगी होकर उनके स्थान पर दूसरी वस्तु ले जाती है। नंदावत हे बिसरावत हे पुरखा मन के बनाये रीति हदेख धीरे धीरे सिरावत हेगाॅंव गॅंवई के हमर चिनहारीनंदावत हे बिसरावत … Read more