नंदावत हे बिसरावत हे

प्रस्तुत कविता नंदावत हे बिसरावत हे अनिल जांगड़े द्वारा रचित है जिसमें बताया गया है कि किस प्रकार से वक्त के साथ बहुत सारी चीजें अनुपयोगी होकर उनके स्थान पर दूसरी वस्तु ले जाती है। नंदावत हे बिसरावत हे पुरखा मन के बनाये रीति हदेख धीरे धीरे सिरावत हेगाॅंव गॅंवई के हमर चिनहारीनंदावत हे बिसरावत … Read more

मोर गांव मोर मितान

village based Poem

मोर गांव मोर मितान जिसके रचनाकार अनिल जांगड़े जी हैं । कविता ने ग्रामीण परिवेश का बहुत सुंदर वर्णन किया है। आइए आनंद लें । मोर गांव मोर मितान मोर गाॅंव के तरिया नदिया,नरवा मोर मितानरूख राई म बसे हवय जी,मोर जिंनगी परान। गली खोर के मॅंय हंव राजा,दुखिया के संगवारी हंवदया धरम हे सिख … Read more