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  • नंदावत हे बिसरावत हे

    प्रस्तुत कविता नंदावत हे बिसरावत हे अनिल जांगड़े द्वारा रचित है जिसमें बताया गया है कि किस प्रकार से वक्त के साथ बहुत सारी चीजें अनुपयोगी होकर उनके स्थान पर दूसरी वस्तु ले जाती है।

    नंदावत हे बिसरावत हे

    पुरखा मन के बनाये रीति ह
    देख धीरे धीरे सिरावत हे
    गाॅंव गॅंवई के हमर चिनहारी
    नंदावत हे बिसरावत हे

    गोरसी नंदागे बहना नंदागे
    नंदागे रे खपरा के रोटी
    दइहा दुधहा सिखर नंदागे
    देख नंदागे रे खेलत गोटी
    घर के दुवारी आगी मंगाई
    छिटका नई छिड़कावत हे
    गाॅंव गॅंवई के हमर चिनहारी
    नंदावत हे बिसरावत हे।

    दौरी नंदागे रे बेलन नंदागे
    नंदागे रे कलारी तुतारी
    ढेंकी जाता हर सबो नंदागे
    नंदावत हे जग ल भंवारी
    मेड़ मेडवार के हरहा बइला
    गली म नई मेछरावत हे
    गाॅंव गॅंवई के हमर चिनहारी
    नंदावत हे बिसरावत हे।

    कुॅंआ पटागे पटागे रे घुरवा
    नंदावत हे छानी कुरिया
    किसा कहानी ददरिया नंदागे
    नंदागे रे रांधे के हंड़िया
    नइये खवइया बोरे बासी के
    पेज पसिया नई फेकावत हे
    गाॅंव गॅंवई के हमर चिनहारी
    नंदावत हे बिसरावत हे।

    अनिल जांगड़े
    8120861255

  • मोर गांव मोर मितान

    मोर गांव मोर मितान

    मोर गांव मोर मितान जिसके रचनाकार अनिल जांगड़े जी हैं । कविता ने ग्रामीण परिवेश का बहुत सुंदर वर्णन किया है। आइए आनंद लें ।

    मोर गांव मोर मितान

    मोर गांव मोर मितान

    मोर गाॅंव के तरिया नदिया,नरवा मोर मितान
    रूख राई म बसे हवय जी,मोर जिंनगी परान।

    गली खोर के मॅंय हंव राजा,
    दुखिया के संगवारी हंव
    दया धरम हे सिख सिखानी
    बैरी बर मॅंय कटारी हंव
    बिन फरिका के दुवारी हंव रे
    मोर अलग पहचान
    मोर गांव के तरिया नदिया,नरवा मोर मितान।

    गाॅंव के कुकुर बिलई संग हे
    मोर सुघर मितानी
    परछी बइठे बुढ़वा बबा मोर
    करथे मोर सियानी
    मॅंय गाॅंव के लहरिया बेटा
    दाई ददा भगवान
    मोर गाॅंव के तरिया नदिया,नरवा मोर मितान।

    गाॅंव म शीतला ठाकुर देवता
    करथे हमर रखवारी
    छानी परवा टूटहा कुरिया
    हवय हमर चिनहारी
    बोरे बासी खा के कमाथन
    माटी म उगाथंन धान
    मोर गाॅंव के तरिया नदिया, नरवा मोर मितान।

    🖊️ अनिल जांगड़े
    सरगांव मुंगेली छत्तीसगढ़
    8120861255