जीवन भर का संचित धन हिंदी कविता

village gram gaanv based hiindi poem

जीवन भर का संचित धन हिंदी कविता सांध्य परिदर्शन गृह का पृष्ठ भाग उपवन है,तरु, लता, वनस्पति सघन है,मेरी यह दिनचर्या में शामिल,जीवन भर का संचित धन है! प्रातः पांच बजे उठकर जब,इधर उधर नज़रें दौड़ाता,मेरा गांव , वहां का जीवन,सहसा याद मुझे अा जाता! मेरे पिता माता को उर में,सजा रखा है, ज्योति जगा … Read more

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मोर गांव मोर मितान

छत्तीसगाढ़ी रचना

मोर गांव मोर मितान जिसके रचनाकार अनिल जांगड़े जी हैं । कविता ने ग्रामीण परिवेश का बहुत सुंदर वर्णन किया है। आइए आनंद लें । मोर गांव मोर मितान मोर गाॅंव के तरिया नदिया,नरवा मोर मितानरूख राई म बसे हवय जी,मोर जिंनगी परान। गली खोर के मॅंय हंव राजा,दुखिया के संगवारी हंवदया धरम हे सिख … Read more

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अब तो मेरे गाँव में

village gram gaanv based hiindi poem

अब तो मेरे गाँव में . ( १६,१३ )अमन चैन खुशहाली बढ़ती ,अब तो मेरे गाँव में,हाय हलो गुडनाइट बोले,मोबाइल अब गाँव में। टेढ़ी ,बाँकी टूटी सड़केंधचके खाती कार में,नेता अफसर डाँक्टर आते,अब तो कभी कभार में। पण्चू दादा हुक्का खैंचे,चिलम चले चौपाल मे,गप्पेमारी ताश चौकड़ी,खाँप चले हर हाल में। रम्बू बकरी भेड़ चराता,घटते लुटते … Read more

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गाँव की महिमा पर अशोक शर्मा जी की कविता

karwa chouth

गाँव की महिमा पर अशोक शर्मा जी की कविता गांव और शहर लोग भागे शहर-शहर , हम भागे देहात,हमको लागत है गाँवों में, खुशियों की सौगात। उहाँ अट्टालिकाएं आकाश छूती, यहाँ झोपड़ी की ठंडी छाँव।रात रात भर चलता शहर जब,चैन शकून से सोता गाँव। जगमग जगमग करे शहर, ग्राम जुगनू से उजियारा है।चकाचैंध में हम … Read more

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हमर गंवई गाँव

हमर गंवई गाँव 1 आबे आबे ग सहरिया बाबूहमर गंवई गाँवगड़े नही अब कांटा खोभातुंहर कुँवर पांवआबे आबे सहरिया बाबूहमर गंवई गाँव।। 2 गली गली के चिखला माटीवहु ह अब नंदागे।पक्की सड़क पक्का नालीहमरो गांव म छागे।लइका मन बर स्कूल खुलगेजगाथे गाँव के नाव।आबे आबे ग सहरिया बाबूहमर गंवई गांव ।। 3 नरवा खड़ म … Read more

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सुंदर सा मेरा गाँव

सुंदर सा मेरा गाँव यही सुंदर सा मेरा गाँवपले हम पाकर सबका प्यार।यहाँ बनता नहीं धर्म तनावयहीं अपना सुखमय संसार।बजे जब यहाँ सुबह के चारकरें जब नृत्य विपिन में मोर। दिशा पूरब सिंदूर उभारनिशा की गोद तजे  जब भोर।कृषक उठकर बैलों को खोललिए अब चलें जहाँ गोआर।सुनो तब झंकृत घंटी बोलबँधे जो गले करें झंकार … Read more

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