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*ग्रामीण परिवेश पर आधारित कविता

हमर गंवई गाँव

हमर गंवई गाँव1 आबे आबे ग सहरिया बाबूहमर गंवई गाँवगड़े नही अब कांटा खोभातुंहर कुँवर पांवआबे आबे सहरिया बाबूहमर…