CLICK & SUPPORT

कहाँ बचे हैं गाँव

कहाँ बचे हैं गाँव

जब से बौने वृक्ष हुए हैं, बौनी हो गयी छाँव |

शहरी दखल हुआ जबसे, कहाँ बचे हैं गाँव ?

पट गए सारे ताल-तलैया,

नहरों को भी पाट दिया,

आस-पास जितने जंगल थे,

उनको हमने काट दिया,

थका पथिक को राह में,

मिला नहीं ठहराव |

जब से बौने वृक्ष हुए हैं, बौनी हो गयी छाँव |

पगडंडी पर चलना छोड़ा,

हम बाइक पे चलते हैं,

हुए रिटायर बैल हमारे,

ट्रैक्टर से काम निकलते हैं,

हुआ मशीनी जीवन अपना,

ये कैसा बदलाव ?

जब से बौने वृक्ष हुए हैं, बौनी हो गयी छाँव |

  • उमा विश्वकर्मा, कानपुर, उत्तरप्रदेश

CLICK & SUPPORT

You might also like