
मन मस्त हुआ तब क्यूँ बोले / कबीरदास
मन मस्त हुआ तब क्यूँ बोले / कबीरदास मन मस्त हुआ तब क्यूँ बोले हीरा पायो गाँठ गठियायो बार-बार बा को क्यूँ खोले हल्की थी तब चढ़ी तराजू पूरी भई तब क्यूँ तओले सूरत-कलारी भई मतवारी मदवा पी गई बिन…
मन मस्त हुआ तब क्यूँ बोले / कबीरदास मन मस्त हुआ तब क्यूँ बोले हीरा पायो गाँठ गठियायो बार-बार बा को क्यूँ खोले हल्की थी तब चढ़ी तराजू पूरी भई तब क्यूँ तओले सूरत-कलारी भई मतवारी मदवा पी गई बिन…
यहाँ राष्ट्रीय सादगी दिवस के अवसर पर एक कविता प्रस्तुत की जा रही है: सादगी का रंग सादगी का रंग हो प्यारा,सीधा-सादा जीवन हमारा। चमक-दमक को भूल चलें हम,सादगी में ही सुख पाएं हम। कम में खुश रहना सिखाएं,सादगी का…