गृहलक्ष्मी पर कविता/ डॉ नीतू दाधीच व्यास

तुम आओगी क्या? मैं तुम्हें अपनी गृहलक्ष्मी बनाऊंगा,तुम आओगी क्या?बस तुम संग एक छोटा सा संसार बसाऊंगा,तुम आओगी क्या? नहीं लाऊंगा तोड़कर कोई चाँद – तारें,न ही जुगनू से रोशनी कराऊंगा।मैं तो तुम्हारे हाथों से ही, घर के मंदिर में दीप जलवाऊँगा।तुम आओगी क्या? नहीं करूंगा जन्म जन्म के साथ के वादे,ना ही कयामत में … Read more