दिलीप कुमार पाठक सरस का ग़ज़ल

दिलीप कुमार पाठक सरस का ग़ज़ल जिंदादिली जिसकी बदौलत गीत गाना फिर नया |हँसके ग़ज़ल गाते रहो छेड़ो तराना फिर नया || है जिंदगी जी लो अभी फिर वक्त का कोई भरोसा है नहीं |पल भर ख़ुशी का जो मिले किस्सा सुनाना फिर नया || हँसना हँसाना रूठ जाना फिर मनाना आ गया |अच्छा लगे  … Read more

हिन्दी बिन्दी भूल गये सब

हिन्दी बिन्दी भूल गये बड़े बड़े हैं छंद लिखैया,          सूनी किन्तु छंद चटसार|हिन्दी बिन्दी भूल गये सब,          हिन्दी हिन्दी चीख पुकार||है हैं का ही अन्तर भूले,      बिना गली खिचड़ी की दाल|तू तू में में मची हुई है,        नोंचत बैठ बाल की खाल||शीश पकड़ कर बैठ गये हैं,        सुर लय यति गति चिह्न विराम|एक पंक्ति सुरसा-सी … Read more