आँख खुलने लगी / नीलम

chandani raat

आँख खुलने लगी/ नीलम आँख खुलने लगी/ नीलम रात के पिछले पहर मेंशीत की ठंडी लहर मेंकोहरे की चादर ओढ़ेसो रहे थे चाँद-तारे धीरे -धीरे धरा सरकतीजा पहुँची प्राची के द्वारेथरथराती ठंड से सिकुड़तीथपथपा खुलवा रही थी द्वार उषा ने धीमें से झांका झिरी सेफिर हौले से खोले द्वारपहचान पृथा को थोड़ा साकिया स्वागत उजास … Read more