13 अप्रैल बेगुनाहों पर बमों की बौछार पर कविता

● सरयू प्रसादर बेगुनाहों पर बमों की बेखबर बौछार की, दे रहे हैं धमकियाँ बंदूक की तलवार की । बागे-जलियाँ में निहत्थों पर चलाई गोलियाँ, पेट के बल भी रेंगाया, जुल्म की हद पार की ॥ हम गरीबों पर किए जिसने सितम बेइंतिहा, याद भूलेगी नहीं उस डायरे-बदकार की । या तो हम भी मर … Read more