Tag: सतनाम पर कविता

  • सतनाम पर कविता



    सत के रद्दा बताये गुरू
    सही मारग दिखाये।
    सहीं मारग बतायें गुरू
    जय‌‌‌तखाम ल गड़ाये।।

    चंदा सुरूज ल चिनहाये
    गुरु,जोड़ा खाम ल गड़ाये
    विजय पताका ल फहराये
    साहेब, सतनाम ल बताये।।

    तोरे चरनकुंड के महिमा
    साहेब, जन-जन ल बताये।

    सादा के धजा बबा,
    सादा तिलक तोर माथे में।
    सादा के लुगरा पहिरे हवय
    सफुरा दाई साथ में।।

    मैं घोंडइया देवव बाबा,
    मैं पईंया लागव तोर।
    मोर दुःख ल हरदे बाबा
    निच्चट दासी हावव तोर।।

    संत के रद्दा धराये गूरू
    सही मारग दिखाये।
    मनखे मनखे एक समान
    जन जन ल बताये।।

    रचनाकार,, डॉ विजय कुमार कन्नौजे
    छत्तीसगढ़ रायपुर आरंग अमोदी